इच्छा मृत्यु के फैसले पर 13 साल बाद SC ने सुनाया बड़ा फैसला, इन लोगों को मिला ये अधिकार

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु से जुड़े 13 साल पुराने मामले में शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। संविधान पीठ ने कुछ शर्तों के साथ इच्छा मृत्यु (पैसिव यूथनेशिया) को मंजूरी दे दी। ऐसा करने वाला भारत 22वां देश हो गया है। कोर्ट ने कहा कि ‘जीने के मौलिक अधिकार में गरिमापूर्ण तरीके से मरने का अधिकार भी शामिल है। इसलिए इच्छा मृत्यु मंजूर किया जाता है।’ इसके साथ ही कोर्ट ने ‘लिविंग विल’, यानी स्वस्थ रहते इच्छा मृत्यु के लिए वसीयत लिखने की भी अनुमति दे दी है। साथ ही कोमा में जा चुके लोगों को भी इच्छा मृत्यु का हक होगा। कॉमन काज ने 2005 में अर्जी लगाई थी।

इच्छा मृत्यु के लिए वसीयत बना सकते हैं
व्यक्ति अपनी वसीयत (लिविंग विल) में लिख सकता है कि लाइलाज बीमारी होने पर उसे जीवन रक्षक उपकरणों पर न रखा जाए। मृत्यु दे दी जाए।

विल बनाने की प्रकिया: विल दो गवाहों की मौजूदगी में बनेगा। इसे फर्स्ट क्लास ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट प्रमाणित करेगा। इसकी 4 कॉपी बनेगी। एक परिवार के पास और बाकी ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट, डिस्ट्रिक्ट जज और नगर निगम या नगर परिषद या नगर पंचायत या ग्राम पंचायत के पास रहेगी।

उस पर अमल की प्रक्रिया: बीमारी लाइलाज होने पर इच्छा मृत्यु दी जा सकेगी। पर परिवार की मंजूरी जरूरी होगी। परिजनों को अपने राज्य के हाईकोर्ट में इच्छा मृत्यु की अर्जी लगानी होगी। कोर्ट मेडिकल बोर्ड गठित करेगा। उसकी अनुमति मिलने पर कोर्ट लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने का आदेश देगा।

अगर वसीयत नहीं बना पाए हैं तो…
जिनके पास लिविंग विल नहीं है और उनके ठीक होने की संभावना नहीं है, तो उनके परिजन इच्छा मृत्यु के लिए लिख सकते हैं। मरीज के परिजनों को अपने राज्य के हाईकोर्ट में इच्छा मृत्यु के लिए आवेदन करना होगा। बाकी प्रक्रिया वही होगी जो लिविंग विल वाले लोगों के लिए होगी।

दुरुपयोग रोकने के लिए शर्तें
इच्छा मृत्यु के दुरुपयोग रोकने के लिए कोर्ट ने शर्तें भी रखी हैं। किसी ऐसे व्यक्ति की लाइफ विल को लेकर पूरी छानबीन होगी, जिसे संपत्ति या विरासत में लाभ होने वाला हो। यह जांच राज्य सरकार स्थानीय प्रशासन द्वारा कराएगी।

दुनिया के 21 देशों में मौजूद है इच्छा मृत्यु का कानून
अमेरिका: 
यहां के ओरेगन, वाशिंग्टन और मोंटाना राज्यों में चिकित्सकों की अनुमति व सलाह पर इच्छामृत्यु दी जाती है। लेकिन यहां पर सक्रिय इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है।
स्विटजरलैंड: यहां इच्छा मृत्यु गैर कानूनी है। पर लोगों को स्वयं जहर का इंजेक्शन लेकर आत्महत्या की अनुमति है।
नीदरलैंड: यहां के कानून मेंं मरीज की मर्जी से और डॉक्टरों द्वारा दी जाने वाली सक्रिय इच्छा मृत्यु स्वीकार्य है।
बेल्जियम: यहां पर 16 साल से इच्छा मृत्यु वैधानिक है।
ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस, इटली समेज दुनिया के कई देशों ने इच्छा मृत्यु को गैर कानूनी करार दिया है।

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