जयपुर: राज्य सरकार ने एक बार फिर केंद्र सरकार से राजस्थान धर्म स्वातंत्र्य बिल को राष्ट्रपति से मंजूरी दिलाने का आग्रह किया है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि बिल में मौजूद अधिकांश प्रावधान राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश पर बतौर गाइडलाइन प्रदेश में लागू किए जा चुके हैं। केंद्र सरकार की अधिकांश आपत्तियों को भी राज्य सरकार दूर कर चुकी है। बावजूद इस बिल को केंद्र सरकार राष्ट्रपति से मंजूरी नहीं दिला सकी है।
नई दिल्ली में मंगलवार को गृह मंत्रालय की ओर से बुलाई गई मीटिंग में राज्य सरकार ने पुरजोर ढंग से अपना पक्ष रखा। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी इससे पहले गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया पत्र लिखकर विधेयक की मंजूरी का आग्रह कर चुके हैं। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को अवगत करवाया है कि विधेयक में कलेक्टर की बिना अनुमति के धर्म परिर्वतन करने पर पांच साल तक की सजा के प्रावधान है।
बच्चों, महिलाओं एवं एससी-एसटी के लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ भी सजा एवं जुर्माने के प्रावधान किए गए हैं। लेकिन, बिल 11 साल से अटका है। अटार्नी जनरल ने जो सवाल उठाए थे राज्य सरकार उनका भी जबाव दे चुकी है। अब कोई विवाद राज्य या केंद्र सरकार के बीच विधेयक को लेकर नहीं है। इसलिए, सरकार इसे मंजूरी दिलाए। क्योंकि, हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने इस विधेयक के प्रावधानों को गाइडलाइन के तौर पर लागू किया हुआ है। सरकार का मानना है कि अब इसे मंजूरी दिला दी जानी चाहिए।
गृह मंत्रालय की चार राज्यों से दो घंटे मंत्रणा, प्रदेश को मिला आधा घंटा
राजस्थान सहित महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व गुजरात के प्रतिनिधियों के साथ गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने करीब दो घंटे तक चर्चा की। इसमें अकेले राजस्थान को आधे घंटे का समय दिया गया। राजस्थान की तरफ से गृह विभाग के सीनियर डिप्टी सेक्रेट्री जगदीप सिंह कुशवाह ने पेंडिंग बिलों पर राज्य सरकार का पक्ष रखा। इसमें हवाला दिया गया है कि प्रदेश में बिना अनुमति धर्म परिवर्तन की गाइडलाइन हाईकोर्ट के निर्देश से लागू है। इसलिए, इसे अब मंजूरी दी जानी चाहिए। गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी राज्य सरकार इस बारे में अवगत करवा चुकी है।
प्रदेश के तीन बिल राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलने से अटके
प्रदेश से संबंधित तीन बिल एवं अध्यादेश ऐसे हैं जो राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इसमें राजस्थान धर्म स्वातंत्र्य विधेयक-2008 फ्रीडम ऑफ रिलीजियस बिल ऑफ 22 सितंबर, 2008 से विचाराधीन है। इसी तरह राजस्थान रिलीफ अंडरटेकिंग स्पेशियली प्रोविजन संशोधन बिल, 2017 पिछले करीब एक साल और दी राजस्थान प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपोजिटर्स ऑर्डिनेंस-2016 करीब डेढ़ साल से केंद्र सरकार के हैं।
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