फेसबुक प्रमुख मार्क जुकरबर्ग ने 5 अप्रैल को ये मान लिया कि उनकी कंपनी ने यूजर्स का डाटा अमेरिकी चुनावों में इस्तेमाल किया है। डेटा लीक के मामले में अमेरिकी फेसबुक यूजर्स को सबसे बड़ा झटका लगा है। फेसबुक के मुताबिक अमेरिका के 7.6 करोड़ लोगों का डेटा चोरी हुआ है। भारत इस मामले में 7वें स्थान पर है। फेसबुक की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि भारत के 5.62 लाख यूजर्स का डाटा लीक किया गया है।
भारत में 335 लोगों ने thisisyourdigitallife.Globally नाम का ऐप डाउनलोड किया था, जिसके चलते 5.62 लाख यूजर्स का डेटा चोरी हो गया। अब यह ऐप इनऐक्टिव है। आशंका जताई जा रही है कि इसके जरिए ही एनालिटिका ने भारतीयों का डेटा हासिल किया था। यह ऐप फेसबुक पर 2013 से 2015 के दौरान ऐक्टिव था। इसमें यूजर्स से उनकी पर्सनेलिटी से जुड़े सवाल पूछे जाते थे। यूजर्स की ओर से जब इस ऐप को उनकी फेसबुक प्रोफाइल की जानकारी हासिल करने के लिए ऑथराइज किया जाता था तो वह उनके दोस्तों तक की जानकारी हासिल कर लेता था।
फेसबुक का कहना है कि वह उन यूजर्स को उनके प्रोफाइल पर नोटिफिकेशन देगा, जिनके डेटा को गलत ढंग से हासिल किया गया है। अब आप सोच रहे होगे कि इतनी बड़ी संख्या में डेटा चोरी करना और उसका इस्तेमाल करना क्या अकेले मार्क का काम है? तो आपको बता दें, इस पूरे स्कैंडल में कई दिग्गज लोगों के हाथ भी शामिल है। जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर इस काम को अंजाम दिया। जानिए उनके बारें में…
एलेक्जेंड्र कोगन: इन्होंने एप बनाया, जिससे जानकारियां चुराई गई
ये शख्स हैं, जिन्होंने ऐसा एप बनाया जिसमें फेसबुक के यूजर की निजी जानकारी आ सके। सात साल की उम्र तक मॉस्को में रहने वाले कोगन बचपन में ही परिवार के साथ रूस से अमेरिका आ गए। बाद में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से सायकोलॉजी में ग्रेजुएशन किया और फिर डॉक्टरेट के लिए हॉन्गकॉन्ग जाने की तैयारी थी, लेकिन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से 2012 में सायकोलॉजी विभाग में रिसर्च एसोसिएट हो गए। यूके में कोगन ने ग्लोबल साइंस रिसर्च नाम से कंपनी बनाई, जो ‘दिजइजयोरडिजिटललाइफ’ नाम से एप बनाया। इसमें फेसबुक यूजर के व्यक्तित्व के बारे में भविष्यवाणी की जाती थी। कोगन की ही कंपनी ने इसे फेसबुक पर किए जाने वाले ‘लाइक्स’ से जोड़कर डिजिटल बर्ताव का आकलन किया। करोड़ों लोगों की निजी जानकारी कैम्ब्रिज एनालिटिका को बेची गई।
स्टीव बेनन,: इनके कहने पर कैम्ब्रिज ने खर्च किया पैसा
निक्स का यदि कोई बॉस था, तो बेनन ही थे। मर्सर ने इसमें पैसा लगाया जरूर था, लेकिन 10 लाख डॉलर में फेसबुक से जो डेटा लिया गया था, उसे खर्च करने का अधिकार निक्स का नहीं था। यह पैसा बेनन के इशारे पर खर्च किया गया था। सवा लाख डॉलर फीस 2016 में बेनन को कैम्ब्रिज एनालिटिका से मिली थे। कुल मिला कर बेनन के पास खूब पैसा था। इतना कि इन्होंने टीवी शो, मीडिया तक में खुद का पैसा लगाया। बताया जाता है इस शख्स ने ट्रंप का मुस्लिम विरोधी भाषण लिखा था। अमेरिकी चुनावों में ट्रंप के प्रमुख रणनीतिकार बेनन ही थे, हालांकि इनसे काम निकाल लेने के बाद इन्हें पद से हटाया गया था।
क्रिस्टोफर वायली, व्हिसलब्लोअर: इस शख्स ने उजागर किया डेटा चोरी का घपला
डॉक्टर माता-पिता की संतान क्रिस्टोफर ब्रिटिश कोलंबिया के विक्टोरिया में पले बढ़े। बचपन में डिक्सलेसिया पीड़ित थे। 6 वर्ष की आयु में इन्हें स्कूल में प्रताड़ित किया था। पढ़ाई के बाद ये कैम्ब्रिज एनालिटिका में आए। रिसर्च डायरेक्टर बने। जब बेनन और निक्स की भेंट रिबेका मर्सर के अपार्टमेंट में हो रही थी, तब ये भी साथ थे। बाद में इन्होंने अखबारों को घपले की जानकारी दी।
एलेक्जेंडर निक्स: सीईओ, कैम्ब्रिज एनालिटिका
ये शख्स अपने बारे में ज्यादा जानकारी नहीं देता है। न ही इनका कोई फेसबुक अकाउंट हैं। 2013 में अपनी कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका बनाई। इसमें रॉबर्ट मर्सर जैसे रिपब्लिकन सांसद ने पैसा लगाया। ट्रम्प के पूर्व साथी स्टीव बेनन से इनकी पहली मुलाकात 2013 में हुई। दोनों ने टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अपने विचार को दुनिया में फैलाना तय किया। इस दौरान ये शख्स रॉबर्ट मर्सर की बेटी रेबेका मर्सर से मिला और यहीं से तय हुआ डेटा का कैसे दुरूपयोग किया जाए।
रेबेका मर्सर: इन घर होती थी डेटा चोरी की प्लानिंग
रेबेका काफी मालदार पार्टी में से एक है। कहा जाता है कि, इनका पैसा अमेरिका की सबसे विवादित बेवसाइड बेटबॉर्ट में लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावों के दौरान इनके ही घर पर मीटिंग हुआ करती थी कि किस तरह फेसबुक के डाटा का चुनावों में इस्तेमाल किया जाए। रेबेका का पूरा काम डेटा के आधार पर पैसा लगाना था। वहीं रेबेका के पिता रॉबर्ट आईबीएम में रिसर्च रह चुके हैं।
कहां कितने लोगों का डेटा चोरी ( फेसबुक द्वारा कैंब्रिज एनालिटिका को दिया गया)
अमेरिका- 7.6 करोड़- 81.61% यूजर्स
फिलीपींस- 12 लाख- 1.4% यूजर्स
इंडोनेशिया- 11 लाख- 1.3% यूजर्स
यूके- 11 लाख- 1.3% यूजर्स
मेक्सिको- 8 लाख-0.9% यूजर्स
कनाडा- 6 लाख- 0.7% यूजर्स
भारत- 6 लाख- 0.6% यूजर्स
ब्राजील- 4लाख-0.5% यूजर्स
वियतनाम- 4लाख-0.5% यूजर्स
ऑस्ट्रेलिया- 3 लाख-0.4% यूजर्स
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