इंटरनेशनल डेस्क: सीरिया में 7 अप्रैल को बेगुनाह लोगों पर किए गए रासायनिक हमले की दुनियाभर में आलोचना की गई थी। बताया जाता है कि सीरिया के पूर्वी घोउटा में विद्रोहियों के कब्जे वाले आखिरी शहर डूमा में हुए संदिग्ध कैमिकल हमले में 80 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे।
1000 से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे। इस हमले की तस्वीरें एक स्थानीय एनजीओ द्वारा सोशल मीडिया पर डाली गई थी। हालांकि जब इन तस्वीरों को द्वारा सीरिया का विरोध होने लगा तो वहां के तानाशाह बशर-अल-असद की सरकार ने इन खबरों को झूठा करार दिया था।
बेगुनाहों पर हुए कैमिकल हमने के जवाब में अमेरिका ने सीरिया पर शुक्रवार रात मिसाइलों से हमला किया। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के मुताबिक, दमिश्क और होम्स में 100 से ज्यादा मिसाइलें दागी गईं। सीरियाई सेना का दावा है कि उसने इनमें से कई को मार गिराया।
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— Press TV (@PressTV) April 14, 2018
इस कार्रवाई में फ्रांस और ब्रिटेन ने उसका साथ दिया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि यह शैतान की इंसानियत के खिलाफ की गई कार्रवाई का जवाब है। वहीं, रूस ने इसे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का अपमान बताया है। उसका कहना है कि वह इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। खुद पुतिन ने ट्रम्प को मौजूदा दौरा का हिटलर तक कह दिया है।
अमेरिका और सीरिया के बीच युद्ध जारी-
शुक्रवार रात से जारी दोनों देशों में युद्ध शनिवार को भी जारी रहा। बताया जा रहा है कि सुबह चार बजे दमिश्क के आस-पास विमान और धमाकों की आवाज सुनाई पड़ी। वहीं खबर ये भी है कि अमेरिका ने सीरिया के तीन ठिकानों पर अपना निशाना साधा है। जिसमें सीरिया के होम्स के पश्चिम स्थित केमिकल भंडारण ठिकाने, कमांड पोस्ट व केमिकल उपकरण भंडारण ठिकाने और दमिश्क स्थित साइंटिफिक रिसर्च सेंटर। अमेरिका ने सीरिया पर हमला करने के लिए B-1 बॉम्बर्स, टोरनाडो जेट्स और युद्धपोत का इस्तेमाल किया।
क्या है सीरिया का संकट की वजह
– 2011 में सीरिया में सिविल वॉर हुआ। जिसमें कुछ बच्चों को बंधक बनाया गया था। जिसके बाद दुनियाभर में आलोचना के साथ कहा गया है कि यह सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद सीरिया सबसे बड़ा ह्यूमन क्राइसिस बन रहा है। इसके बाद जुलाई 2011 में सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए सीरियन आर्मी के अफसरों के एक ग्रुप ने सेना छोड़ फ्री सीरियन आर्मी का गठन किया। जिसके बाद इसके विरोध में लगभग एक साल तक सुसाइड बम ब्लास्ट किए गए।
साल 2011 से 2012 के बीच इसके बाद अल कायदा के लीडर अयमान अल जवाहिरी ने सीरियाई लोगों से जिहाद के लिए आगे आने की अपील की। बीते दो साल में आईएस ने भी अपने आतंकी भेजने शुरू कर दिए। साल 2015 में रूस ने बशर अल-असद को सपोर्ट कर दिया।
असद के लिए सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) को रूस और ईरान सपोर्ट कर रहे हैं। वहीं, अमेरिका पर आरोप है कि वह असद के खिलाफ विद्रोहियों की मदद कर रहा है। इस दौरान सीरिया तानाशाह बशर अल असद के खिलाफ कई हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें करीब अबतक 4 लाख लोग मारे जा चुके हैं। आपको बता दें सीरिया में 5 साल के अंदर ये चौथी बार कैमिकल अटैक करवाया गया है। जिसमें कई हजारों बच्चों और महिलाओं ने अपनी जान गंवाई है।
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