नई दिल्ली: टीडीपी ने केंद्र और आंध्रपद्रेश में भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया है। उसके केंद्र सरकार में शामिल दोनों मंत्रियों ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। मोदी सरकार से अलग होने के बाद मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विधानसभा को संबोधित किया। उन्होंने पार्टी के फैसले को सही बताया।
टीडीपी ने यह निर्णय आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने से लिया है। उधर, अब जनता दल यूनाईटेड ने एक बार फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की है। जेडीयू ने टीडीपी का समर्थन भी किया है। देश में 29 राज्यों में से 11 को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। 5 अन्य राज्य भी ये दर्जा मांग रहे हैं।
कैसे मिलता है दर्जा
संविधान में विशेष राज्य का दर्जा देने का प्रावधान नहीं है। 1969 में पहली बार पांचवें वित्त आयोग के सुझाव पर 3 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला। इनमें वे राज्य थे जो अन्य राज्यों की तुलना में भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक संसाधनों के लिहाज से पिछड़े थे। नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल ने पहाड़, दुर्गम क्षेत्र, कम जनसंख्या, आदिवासी इलाका, अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर, प्रति व्यक्ति आय और कम राजस्व के आधार पर इन राज्यों की पहचान की।
क्या है फायदा
विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा दी गई राशि में 90% अनुदान और 10% रकम बिना ब्याज के कर्ज के तौर पर मिलती है। जबकि दूसरी श्रेणी के राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 30% राशि अनुदान के रूप में और 70% राशि कर्ज के रूप में दी जाती है। इसके अलावा विशेष राज्यों को एक्साइज, कस्टम, कॉर्पोरेट, इनकम टैक्स आदि में भी रियायत मिलती है। केंद्रीय बजट में प्लान्ड खर्च का 30% हिस्सा विशेष राज्यों को मिलता है। विशेष राज्यों द्वारा खर्च नहीं हुआ पैसा अगले वित्त वर्ष के लिए जारी हो जाता है।
49 साल पहले तीन राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला था
1969 तक केंद्र के पास राज्यों को अनुदान देने का कोई निश्चित मानक नहीं था। तब केंद्र की ओर से राज्यों को सिर्फ योजना आधारित अनुदान ही दिए जाते थे। 1969 में पांचवें वित्त आयोग ने गाडगिल फॉर्मूूले के तहत पहली बार 3 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया। इनमें असम, नगालैंड और जम्मू-कश्मीर थे। देश में 11 राज्यों को विशेष दर्जा मिला है। अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल और उत्तराखंड को बाद में मिला।
14वें वित्त आयोग की सिफारिशों की वजह से आंध्र को नहीं मिल रहा दर्जा
वित्त मंत्री जेटली का कहना है कि 14वें वित्त आयोग के बाद अब यह दर्जा नॉर्थ-ईस्ट और पहाड़ी राज्यों के अलावा किसी और को नहीं मिल सकता है। आंध्र पोलवरम योजना और अमरावती के लिए 33-33 हजार करोड़ रु. मांग रहा है। केंद्र का कहना है कि पोलवरम के लिए 5 हजार करोड़ और अमरावती के लिए ढाई हजार करोड़ रु. दे चुका है। इसमें गुंटूर, विजयवाड़ा के लिए 500-500 करोड़ रु. शामिल हैं।
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