फोर्ब्स 30: इन युवाओं की कहानियों से सीखें नया करने की अहमियत

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जयपुर: विश्वप्रसिद्ध मैगजीन फोर्ब्स की इंडिया 30 अंडर 30 लिस्ट का आंत्रप्रेन्योर्स, यूथ और स्टूडेंट्स को हर वर्ष इंतजार होता है। इस लिस्ट में शामिल होना न केवल इन युवाओं के लिए जीवनभर के सम्मान की बात होती है, बल्कि उन्हें दुनियाभर में रिकग्निशन भी मिलता है।

इस लिस्ट के हाल ही जारी हुए 2020 एडिशन में आपको ऐसे फाउंडर्स व प्रोफेशनल्स के बारे में जानने को मिलेगा जो अभी 30 से भी कम आयु के हैं, लेकिन अभी से उनके नाम दर्ज उपलब्धियां एक प्रॉमिसिंग फ्यूचर की ओर इशारा करती हैं। यहां इस लिस्ट में शामिल कुछ ऐसे ही युवाओं से आपको रूबरू करवाया जा रहा है जिनकी स्टोरीज इंस्पायर करने के साथ ही कुछ नया ट्राई करने की अहमियत बताती हैं।

इन्होंने दिया बाइक टैक्सी के आइडिया को नया मुकाम (https://rapido.bike/)
अक्टूबर 2015 में तीन आईआईटी एलमनाई, अरविंद, पवन व ऋषिकेश ने बैंगलुरू में भारत की पहली बाइक टैक्सी पूलिंग सर्विस, रैपिडो की शुरुआत की जो आज देश के सबसे प्रसिद्ध स्टार्टअप्स में शामिल है। ये एक लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप, दकैरियर के लिए साथ आए थे, लेकिन उसी समय उन्होंने बाइक टैक्सी सेगमेंट के पोटेंशियल को समझा। इसी का नतीजा सामने आया रैपिडो के रूप में।

शुरुआती तीन वर्षों में कंपनी को कोई निवेश नहीं मिला, क्योंकि इंवेस्टर्स को लगता था कि बाइक टैक्सीज भारत में सफल नहीं होंगी, लेकिन कुछ ही महीने पहले सीरीज बी फंडिंग राउंड में इसने 390 करोड़ रुपए जुटाकर एक हजार करोड़ रुपए की वैल्यूएशन छुई है। अपने ड्राइवर्स को कैप्टन कहने वाली यह कंपनी फिलहाल देश के 100 शहरों में एक्टिव है और अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को टार्गेट कर रही है।

आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट्स को ये बनाते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स
आईआईटी दिल्ली एलमनस अभिषेक व स्कूल ड्रॉपआउट और सेल्फ-टॉट टेक आंत्रप्रेन्याेर, ऋषभ अपने एनजीओ, नवगुरुकुल के जरिए आर्थिक तौर पर कमजोर स्टूडेंट्स को रिएक्ट डॉट जेएस व नोड डॉट जेएस प्रोग्रामिंग फ्रेमवर्क्स और पायथन व जावास्क्रिप्ट लैंग्वेजेज सिखाते हैं। अभिषेक के अनुसार, दिल्ली सरकार के एजुकेशन डिपार्टमेंट में काम करते हुए उन्होंने कई ऐसे स्टूडेंट्स देखे जिनमें प्रतिभा तो थी, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण उनके पास ऑपर्च्युनिटीज का अभाव था।

उनकी मदद करने के लिए उन्होंने एक एम्प्लॉयबिलिटी प्रोग्राम डेवलप करने की सोची। अाज उनके बैंगलुरू व धर्मशाला में दो फुली रेजिडेंशियल कैंपसेज हैं जहां लो इनकम कम्युनिटीज से ताल्लुक रखने वाले स्टूडेंट्स को एक वर्षीय प्रोग्राम के जरिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। खास बात यह है कि यहां न टीचर्स हैं और न ही एग्जाम्स। यहां स्टूडेंट्स ही टीम के दिशा-निर्देशों से अपनी लर्निंग मैनेज करते हैं और जॉब पाने के बाद अपनी फीस चुकाते हैं।

बचपन के अनुभव ने दिया हैल्थ स्टार्टअप का आइडिया
टीनएज में प्रिया प्रकाश को अपने वजन के कारण कई बार बुलीइंग का सामना करना पड़ा था। यहां तक कि उन्होंने यह भी स्वीकार कर लिया था कि उनकी जिंदगी बदलने नहीं वाली थी, लेकिन कॉलेज के बाद उन्होंने खुद में बदलाव लाने की ठानी और दिल्ली स्टेट वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल तक जीता।

इसके बाद बच्चों पर फोकस करते हुए हैल्थ केयर ऑर्गनाइजेशन, हैल्थसेटगो स्थापित किया जो स्कूल्स को हैल्थ प्रोग्राम्स, एजुकेशन, मेडिकल असेसमेंट्स व इंश्योरेंस सर्विसेज प्रदान करता है। इसका लक्ष्य है स्कूल स्टूडेंट्स को हैल्दी लाइफस्टाइल के फायदे समझाना ताकि उनमें ओबेसिटी जैसी बीमारियां न हों। यह स्कूल्स में एनुअल मेडिकल चेकअप्स भी कंडक्ट करता है, जिनकी रिपोर्ट्स एक एप के जरिए पेरेंट्स तक पहुंचती हैं।

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