Teddy Day: जानिए कैसे एक जंगली भालू बना प्यार का प्रतिक, चौंका देगी ये साइंटिफिक थ्योरी

टेडी साॅफ्ट और सुदंर होता है, जिसे देखकर प्यार करने की चाहत बढ़ती है। वहीं इसका आविष्कार भी दरियादिली, प्रेम और करुणा के कारण हुआ।

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Teddy Day: वैलेंटाइन सप्ताह इन दिनों लोगों के बीच काफी पॉपुलर है। रोज डे, प्रपोज डे, चाॅकलेट डे, प्राॅमिस डे, हग डे और किस डे आदि मनाए जा रहे हैं। आज उनमें से एक दिन टेडी डे आज है। जहां कपल्स एक दूसरे को प्यार के रुप में टेडी गिफ्ट कर रहे हैं वहीं क्या आप जानते हैं कि एक जंगली जानवर कैसे लोगों के बीच प्यार का प्रतीक बन गया। अगर नहीं तो ये आर्टिकल आखिर तक पढ़िए और शेयर कीजिए कि आखिर टेडी बियर का इतिहास क्या है? और कैसे दुनिया टेडीबियर की दीवानी हो गई।

कहा जाता है कि 122 साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट शिकार पर निकले। इरादा था, जंगली भालू मारेंगे। लेकिन दिन भर जंगल की खाक छानने के बाद भी राष्ट्रपति के हाथ कुछ न लगा। ऐसे में उनके कारिंदे जी हुजूरी में कहीं से एक भालू का बच्चा पकड़ लाए और उसे पेड़ से बांध दिया।

फिर राष्ट्रपति से कहा गया कि इस भालू पर निशाना लगाकर वो अपने शिकार का शौक पूरा कर लें। राष्ट्रपति ने बंदूक तानी, निशाना भी साध लिया, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें भालू के उस नन्हें बच्चे पर दया आ गई। उन्होंने फायर नहीं किया।

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राष्ट्रपति के जीवन से आया कार्टूनिस्ट को आइडिया
इसी कहानी पर क्लिफोर्ड बेरीमैन नाम के एक कार्टूनिस्ट ने कार्टून बनाया। इस कार्टून के आधार पर ब्रुकलिन के एक टॉयमेकर मॉरिस मिकटॉम ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर एक भालू यानी बियर बनाया और उसे नाम दिया ‘टेडीबियर’ क्योंकि राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट का निकनेम टेडी था। बस यहीं से टेडीबियर दुनिया भर में मशहूर हो गया और इस खतरनाक जानवर की घर-घर में एंट्री हो गई।

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टेडीबियर के पीछे साइंटिफिक थ्योरी
टेडी साॅफ्ट और सुदंर होता है, जिसे देखकर प्यार करने की चाहत बढ़ती है। वहीं इसका आविष्कार भी दरियादिली, प्रेम और करुणा के कारण हुआ। ऐसे में वैलेंटाइन डे इस तरह भावनाओं की अभिव्यक्ति का बेहतरीन मौका देता है। कई रिसर्च में कहा गया है कि टेडी बियर के पीछे साइंटिफिक थ्योरी है। जिसे ब्रिटिश फिलॉसफर डोनॉल्ड विनकॉट के अनुसार समझे तो, टेडीबियर से प्यार करने पीछे ‘आइडिया ऑफ ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट’ का सिद्धांत है। दरअसल, इस सिद्धांत में बताया गया है कि जब बच्चा अपनी मां से अलग रहना, सोना शुरू करता है तो उसे किसी ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट की जरूरत होती है। मां से थोड़ा अलगाव झेल रहा बच्चा धीरे-धीरे इस ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट के प्रति अफेक्शनेट होता जाता है। वह इसमें अपनी खुशियां, अपना साथ ढूंढता है।

अपनी बनावट और खुशनुमा चेहरे की वजह से ज्यादातर मामलों में टेडीबियर ही वह ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट बनता है। बच्चे को इस ऑब्जेक्ट में उसी प्यार, खुशी, विश्वास का अक्स दिखने लगता है, जो उसे अपनी मां से मिलता है। ऐसा ही कुछ कपल्स के मामले में भी होता है। टेडीबियर दो दिलों के बीच ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट का काम करता है। उनके बीच की दूरियों को पाटने का काम। जब प्रेमी पास न हो तो उसका दिया टेडी भी उसके प्रेम और साथ ही याद दिलाता है। एक-दूसरे की गैर-मौजूदगी में यही टेडीबियर उनका सहारा बनता है।

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टेडीबियर का मार्केट
पूरी दुनिया में भालुओं की हर प्रजाति को मिला लें तो भी उनकी आबादी 3 लाख से ऊपर नहीं है। दूसरी ओर, सिर्फ अमेरिका में हर साल 5 करोड़ टेडीबियर बनाए और बेचे जाते हैं। दुनियाभर में टेडीबियर का कारोबार 4.90 करोड़ रुपये का है। दुनियाभर में 500 से अधिक टेडीबियर की किस्में हैं।

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