SMS के जरिए मिलेगी टीडीएस की जानकारी, जानिए इस सेवा से जुड़ी मुख्य बातें

0
254

नई दिल्ली: सरकार ने कर्मचारियों को एक नई सुविधा देते हुए टीडीए कटौती के बारे में एसएमएस भेजकर जानकारी देने का फैसला किया है। इस सेवा की शुरुआत 24 अक्टूबर को की गई थी आज हम आपको इस सर्विस से जुड़ी कई अहम बातों के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में आपको शायद ही पता होगा।

1. इस सेवा के लॉन्च होने के बाद करीब 2.5 करोड़ करदाताओं को इसका फायदा मिलेगा और इनकम टैक्स आपको पूरी जानकारी देगा, जिसका मिलान आप सैलरी स्लिप से कर सकते हैं और आपको पता चल जाएगा कि आपकी कंपनी या नियोक्ता ने पैसे जमा करवाए है या नहीं और कितने करवाए हैं।

2. कर विभाग ने वेतनभोगियों को ई-फिलिंग अकाउंट में अपने संपर्क नंबर अपडेट करने को कहा है ताकि उन्हें इस सेवा का फायदा मिल सके।

ये भी पढ़े: Jio के लिए रिलायंस ने लॉन्च किया नया Lyf F8 स्मार्टफोन, डेटा, कॉल, मैसेज सब फ्री!

3. करदाताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इस पारदर्शिता आएगी। क्लियर टैक्स पोर्टल के चीफ एडिटर प्रीति खुराना ने कहा है कि ज्यादातर ऐसा होता है कि आपकी सैलरी से टीडीएस काट लिया जाता है, लेकिन इसे या तो गलत पैन में जमा कर दिया जाता है या नियोक्ता जमा नहीं करते है और उन्हें दिक्कत होती है।

4.टेक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि टीडीएस मिसमैच होना सबसे आम समस्या है।

ये भी पढ़े: इस Trick का इस्तेमाल कर व्हाट्सएप मैसेज कर सकते हैं ‘UnSend’

5. इससे कर्मचारी को सबकुछ पता रहेगा और वो इसे ट्रेस करके सबकुछ पता कर सकता है और कोई दिक्कत होने पर अपने नियोक्ता से बात कर सकता है। पहले कर्मचारी को एक साल का इंतजार करना पड़ता था और फॉर्म 16 की मदद से आगे की कार्रवाई करनी होती थी, लेकिन वो उसी वक्त इसकी जानकारी रख सकते हैं।

6. कर विभाग की वेबसाइट से फॉर्म 26 एएस डाउनलोड करके टीडीएस और अन्य पेमेंट की जानकारी हासिल की जा सकती है।

7.अब कर्मचारियों को इस बात की जानकारी हर तिमाही मिलती रहेगी कि उनका टीडीएस कितना कटा।

ये भी पढ़े: ये है दुनिया की पहली ‘पोर्न यूनिवर्सिटी’, एडमिशन के लिए लगती है लंबी कतार

इनकम टैक्स और टीडीएस में अतंर-

इनकम टैक्स टैक्सेबल इनकम पर देय होता है। टीडीएस का मतलब होता है टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स। यह इनकम टैक्स को आंकने का एक तरीका हैं। इनकम टैक्स से टीडीएस ज्यादा होने पर रिफंड क्लेम किया जाता है और कम होने पर अडवांस टैक्स या सेल्फ असेसमेंट टैक्स जमा करना होता है।

ये भी पढ़े: Video: दंगल का पहला गाना ‘बापू सेहत के लिए तू तो हानिकारक है’ रिलीज

कंपनी के केस में अगर टैक्सेबल इनकम पर देय टैक्स बुक प्रॅफिट के 15 फीसदी से कम है तो बुक प्रॉफिट को इनकम मानकर 15 फीसदी इनकम टैक्स देना होगा। एम्प्लॉयर द्वारा एम्प्लॉई को दिए गए फ्रिंज बेनिफिट पर लगने वाला टैक्स एफबीटी कहलाता था। इसे अब खत्म कर दिया गया है।