LGBTQIA+ क्या है? इस कम्युनिटी में किन-किन लोगों को मिलती है जगह? जानें सबकुछ

साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। पाँच सदस्यीय पीठ ने ये फ़ैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा था-आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा।

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समलैंगिकों को आम बोलचाल की भाषा में LGBTQIA कहा जाता है। LGBTQIA इस समुदाय के लोगों की पहचान उनके पहनावे या रूप-रंग से नहीं की जाती है बल्कि इन लोगों की पहचान उनकी यौन वरीयताओं से होती है। जैसे-जैसे दुनिया ने इनके बारे में जाना, समझा, वैसे-वैसे इनके लिए नए नए शब्दों का विकास होता गया। ऐसे में आज हम आपको इसके बारे में यह भी बताने वाले हैं कि इस कम्युनिटी में किस-किस तरह के लोग शामिल होते हैं।

क्या है LGBT और LGBTQIA+ का मतलब
ये शब्द ऐसे लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो गे, लेस्बियन, बाइसेक्शुअल या ट्रांसजेंडर के रुप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से अपनी पहचान रखते हैं। जैसे-जैसे दुनिया ने इनके बारे में जाना, समझा, वैसे-वैसे इनके लिए नए नए शब्दों का विकास होता गया। हालांकि, ऐसे लोगों के लिए हिंदी में एकदम सटीक शब्द निकाल पाना मुमकिन नहीं है।

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LGBTQIA+ के हर अक्षर का मतलब

L (लेस्बियन): यह शब्द उन महिलाओं के लिए उपयोग किया जाता है जो महिलाओं की ओर ही आकर्षित होती हैं। उनसे प्यार करती हैं और यौन संबंध बनाना चाहती हैं। वहीं आपको बता दें इसमें ऐसा भी हो सकता है कि एक महिला का बर्ताव और लुक एक पुरुष जैसा ही हो और संबंध महिला से ही हो।

LGBTQ

G (गै): ये शब्द उनके लिए इस्तेमाल किया जाता है जो पुरुष होकर पुरुष की ओर आर्कषित हो। यानि कोई पुरुष समान लिंग यानि किसी पुरुष पर ही मोहित होता है तो उसे गै (Gay) कहते हैं। वैसे सामान्य तौर पर प्रत्येक समलिंगी व्यक्ति, चाहे पुरुष है या कुछ और, के लिए गै शब्द का उपयोग होता रहता है।

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B (बाईसेक्शुअल): इसमें कोई व्यक्ति, अपने समान लिंग के मनुष्यों के अलावा अन्य सभी तरह के लिंग के मनुष्यों की ओर भी आकर्षित होता अथवा होती है तो उसे बायसेक्सुअल कहा जाता है। महिला और पुरुष दोनों ‘बाईसेक्शुअल’ हो सकते हैं।

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T (ट्रांसजेंडर): ये थर्ड जेंडर में आते हैं। वे सभी मनुष्य जिनके जन्म के समय पहचाना गया लिंग बड़े होने पर उन्हें उचित नहीं लगता और वे किसी अन्य लिंग के मनुष्य की तरह जीने लगते हैं। एक उदाहरण से समझते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके जननांग (प्राइवेट पार्ट) पैदा होते समय पुरुष की तरह होते हैं और जिसे लड़का माना जाता है लेकिन बाद में उसके जीवन-जीने का तरीका लड़कियों जैसा रहता है। वे खुद को लड़की अथवा महिला ही मानते हैं। इन्हें ट्रांसवुमेन कहा जाता है और इसके उलट अगर कोई लड़की है और लड़कों जैसा जीवन जीती है तो तो उन्हें ट्रांसमेन कहा जाता है।

Q (क्वीयर): क्वीयर वो लोग हैं जो ये तय नहीं कर पाते हैं कि शारीरिक चाहत आखिर क्या है? यानी जो न खुद को पुरुष, न महिला और न ही ट्रांसजेंडर मानते हैं। वे न तो पूरी तरह लेस्बियन होते है और न ही गे और बाईसेक्सुअल। इनकी यौन पसंद समय समय पर बदलती रहती है। ऐसे लोगों को क्वीयर कहते हैं। इसीलिए क्वीयर के ‘Q’ को ‘क्वेश्चनिंग’ भी कहा जाता है।

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I (इंटरसेक्स): यह वे लोग होते हैं जिनके पैदा होने के बाद उनके जननांग (प्राइवेट पार्ट) देखकर ये साफ नहीं हो पाता कि वह लड़का है या लड़की। वह इंटरसेक्सुअल कहलाते हैं।

A (एसेक्शुअल): जिस किसी मनुष्य को किसी भी लिंग के मनुष्य के साथ सेक्स में रूचि नहीं होती, तो उन्हें एसेक्शुअल कहा जाता है।

+ (प्लस): इनमें वे सभी मनुष्य शामिल किए जाते हैं जो LGBTQIA के विभिन्न कैटेगरीज में अपने आपको फिट नहीं मानते। उन्हें लगता है कि उनकी सोच और पसंद को किसी तय केटेगरी में नहीं डाला जा सकता।

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कितनी है इस समुदाय की जनसंख्या
2018 में भारत की कुल पॉपुलेशन के करीब 8 फीसदी लोग एलजीबीटी समुदाय से संबंधित थे। यह आंकड़ा 10 करोड़ 40 लाख के आसपास आता है।

किन देशों में समलैंगिकता को स्वीकार कर लिया गया है
बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, दक्षिणअफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, डेनमार्क, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, लग्जमबर्ग, फिनलैंड, आयरलैंड, ग्रीनलैंड, कोलंबिया, जर्मनी, माल्टा भी समलैंगिक शादियों को मान्यता दे चुके हैं।  दुनिया के 26 देश ऐसे हैं जो समलैंगिकता को कानूनन सही करार चुके हैं। पिछले साल ही ऑस्ट्रेलिया की संसद ने भारी बहुमत से इसे मान्यता दी थी। ऑस्ट्रेलिया के 150 सदस्यों के संसद में सिर्फ 4 सदस्यों ने समलैंगिक शादियों के खिलाफ वोट किया था।

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क्या भारत में समलैंगिकता मान्य है?
साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था। पाँच सदस्यीय पीठ ने ये फ़ैसला सुनाया था। अदालत ने अपने फ़ैसले में कहा था-आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा।

समलैंगिक झंडे के अलग-अलग  रंगों का क्या अर्थ है ?
मूल रूप से आठ रंगों वाला हाथ से सिला- गुलाबी, लाल, नारंगी, पीला, हरा, फ़िरोज़ा, नीला, और बैंगनी – इंद्रधनुष ध्वज समलैंगिक व्यवहार के लिए एक साधारण प्रतिक्रिया से कहीं अधिक हो गया। यह एलजीबीटी गर्व के लिए एक सार्वभौमिक प्रतीक बन दुनिया भर में फैल गया। चूंकि ध्वज की लोकप्रियता बढ़ी, इसकी डिजाइन मांग को पूरा करने के लिए अनुकूलित की गई थी, और 1979 तक, छह रंग का संस्करण समलैंगिक गौरव के लिए आधिकारिक प्रतीक बन गया।

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