जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने हिन्दू अध्ययन, बौद्ध अध्ययन और जैन अध्ययन के लिए केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है। इसके लिए जेएनयू प्रशासन की ओर से अधिसूचना जारी की गई है। तीनों अध्ययन केंद्र संस्कृत एवं प्राच्य विद्या अध्ययन संस्थान के तहत स्थापित किए जाएंगे। प्रवेश एनटीए की ओर से आयोजित सीयईटी के जरिये होंगे। प्रवेश अगले वर्ष से शुरू होंगे।
कुलपति शांति श्री डी. पंडित के मुताबिक इन केंद्रों की स्थापना से JNU में धार्मिक अध्ययन के क्षेत्र में विस्तार होगा और छात्रों को हिन्दू धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म के बारे में गहन ज्ञान पाने का अवसर मिलेगा।
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क्या-क्या होगा कोर्स
लीलावती, आर्यभट्ट, चरक और सुश्रुत की आयुर्वेद संहिता का अध्ययन कराया जाएगा। इसके साथ ही अर्थशास्त्र की तंत्रयुक्ति, मीमांसा का अधिकरण, भारतीय प्रबंधन, पाणिनी और वाद परंपरा, शास्त्रार्थ की विधियां, अर्थ निर्धारण, शक्ति व प्रकृति का सिद्धांत, सौंदर्य लहरी, कश्मीर का शैव दर्शन, आयुर्विज्ञान, विधि शास्त्र इसके पाठ्यक्रम में शामिल हैं।
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विशेष रूप से सिख ज्ञापन परंपरा को इसके पाठ्यक्रम में रखा गया है, उनके पद्य भी पढ़ाए जाएंगे। प्रो. पांडेय ने बताया कि बौद्ध अध्ययन केंद्र में मूल साहित्य त्रिपिटक, पाली व्याकरण, थेरवाद या स्थिरवाद, बौद्ध दर्शन के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांत, क्षणिकवाद, चार शाखाओं के सिद्धांत, शून्यवाद और बौद्ध धर्म में मोक्ष की अवधारणा को इसके पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाएगा।
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जैन अध्ययन केंद्र में जैन तत्व मीमांसा, कर्म सिद्धांत, पुर्नजन्म सिद्धांत, जैन गणितीय पद्धति और ज्योतिष, प्राकृत भाषा का इतिहास एवं व्याकरण, सम्यक दर्शन, पंच महाव्रत और जैन तीर्थंकरों का इतिहास इसके पाठ्यक्रम में शामिल होगा। प्रो. पांडेय ने कहा संस्कृत स्कूल में हिंदू अध्ययन, बौद्ध अध्ययन और जैन अध्ययन भारत की विविधता में एकता को समझने का मार्ग बनेगा और भारतीय मानस को जानने में सहायक होगा।
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कौन ले सकता है एडमिशन
हिंदू-बौद्ध और जैन धर्म के अध्ययन केंद्र में छात्र परास्नातक यानी कि पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ले सकेंगे। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में पीजी कोर्स में एडमिशन के लिए, उम्मीदवारों को कॉमन यूनिवर्सिटीज एंट्रेंस टेस्ट (CUET) में अच्छा स्कोर करना होगा। इसके अलावा, उम्मीदवार के पास यूजीसी-मान्यता प्राप्त संस्थान से 10+2+3 शिक्षा पैटर्न में कम से कम 50 फीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएशन की डिग्री भी होनी चाहिए।
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