अनीता आनंद बन सकती हैं कनाडा की पहली अश्वेत महिला प्रधानमंत्री, जानें इनके बारें में सबकुछ

2019 में कनाडा की ओकविले ​​​​​​​सीट से पहला संसदीय चुनाव जीता था, जिसके बाद से ट्रूडो सरकार में कई प्रमुख विभागों को संभाला है

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कनाडा में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद भारतीय मूल की सांसद अनीता आनंद (anita anand canada) का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए प्रमुखता से लिया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो वो कनाडा में प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने वाली पहली अश्वेत महिला होंगी। फिलहाल जब तक कोई नया नेता नहीं चुन लिया जाता, तब तक ट्रूडो पद पर बने रहेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सत्ताधारी लिबरल पार्टी इस साल होने वाले संसदीय चुनाव से पहले नया प्रधानमंत्री चुन सकती है। बुधवार यानी आज पार्टी के नेशनल कॉकस की बैठक भी होने वाली है। बता दें कि पार्टी नेताओं की तरफ से लगातार बढ़ते दबाव के बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 6 जनवरी को पार्टी लीडर और PM दोनों पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी सरकार का कार्यकाल अक्टूबर तक था। वे नवंबर 2015 में देश के प्रधानमंत्री बने थे।

कौन है अनीता आनंद

अनिता के पिता तमिलनाडु जबकि मां पंजाब की रहने वाली थीं। हालांकि अनिता का जन्म कनाडा में ही हुआ था। अनीता आनंद ने क्वीन्स यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में आर्ट्स ग्रेजुएशन, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से न्यायशास्त्र में आर्ट्स ग्रेजुएशन, डलहौजी यूनिवर्सिटी से लॉ ग्रेजुएशन और टोरंटो यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया है। अनीता टोरंटो यूनिवर्सिटी की एसोसिएट डीन भी रह चुकी हैं।

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उन्होंने 1995 जॉन नोल्टन से शादी की, जो एक कनाडाई वकील और बिजनेस एग्जीक्यूटिव हैं। उनके 4 बच्चे हैं। अनीता आनंद लैंगिक समानता की मुखर समर्थक रही हैं। उन्होंने LGBTQIA+ के अधिकारों का भी खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने 2019 में कनाडा की ओकविले ​​​​​​​सीट से पहला संसदीय चुनाव जीता था, जिसके बाद से ट्रूडो सरकार में कई प्रमुख विभागों को संभाला है, जिसमें पब्लिक सर्विस और खरीद मंत्री, नेशनल डिफेंस मिनिस्टरी और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष की जिम्मेदारी शामिल है। वह 2024 से ट्रांसपोर्ट और इंटरनल ट्रेड मिनिस्टर हैं।

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ट्रूडो के खिलाफ क्यों है नाराजगी
कनाडा के लोगों में लगातार बढ़ती मंहगाई के वजह से ट्रूडो के खिलाफ नाराजगी है। इसके अलावा पिछले कुछ समय से कनाडा में कट्टरपंथी ताकतों के पनपने, अप्रवासियों की बढ़ती संख्या और कोविड-19 के बाद बने हालातों के चलते ट्रूडो को राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

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पिछले साल अक्टूबर में हुए इप्सोस के एक सर्वे में सिर्फ 28% कनाडाई लोगों का कहना था कि ट्रूडो को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं एंगस रीड इंस्टीट्यूट के मुताबिक ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग गिरकर 30% पर आ गई है। दूसरी तरफ उन्हें नापसंद करने वालों की संख्या 65% तक पहुंच गई है। देश में हुए कई सर्वे के मुताबिक अगर कनाडा में चुनाव होते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत मिल सकता है, क्योंकि जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है।

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