अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐलान किया है कि हम जल्द ही दवाइयों पर भारी टैरिफ (pharma tariffs trump) लगाने जा रहे हैं। ट्रम्प ने कहा कि उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है। ट्रम्प ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति बोले कि टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो विदेशी दवा कंपनियों को भारी टैक्स चुकाना पड़ेगा। ट्रम्प दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।
अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारतीय फार्मास्यूटिकल कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। अमेरिका में डॉक्टर 90% जेनेरिक दवा लिखते हैं। भारत से आने वाली सस्ती जेनेरिक्स ने हेल्थकेयर लागत को बहुत कम किया है। भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक है।
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इन देशों से आती है अमेरिका को सबसे ज्यादा दवाएं
अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा दवाएं खरीदने वाला देश है। यूएस ट्रेड डेटा के मुताबिक भारत, अमेरिका को सबसे ज्यादा दवा बेचने वाले टॉप-5 देशों में शामिल है। Citi का अनुमान है कि अगर टैरिफ का 50% बोझ मरीजों तक पहुंचाया गया, तो फार्मा कंपनियों की कमाई (EBITDA) पर 1% से 7% तक का असर हो सकता है। अमेरिका को आयरलैंड, चीन, जर्मनी, भारत और स्विट्जरलैंड से ज्यादा दवाएं आती है।
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अमेरिका में जेनेरिक दवाओं का लगभग 40% भारत से
न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिका में ज्यादातर सस्ती जेनेरिक दवाएं भारत और चीन से आती हैं। मंहगी दवा मिलने का नुकसान मरीजों को उठाना पड़ेगा जिससे अमेरिका के लोगों की ही मुश्किलें बढ़ेंगी। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के मुताबिक अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले सभी जेनेरिक दवाओं का लगभग 40% भारत से भेजे जाते हैं। भारत से निर्यात होने वाली दवाओं में एंटीबायोटिक्स, एंटीडिप्रेसेंट्स, और हृदय रोग की दवाएं होती हैं।
भारत जेनेरिक दवाएं सस्ते में बनाता है, जिससे अमेरिकी हेल्थकेयर सिस्टम को हर साल अरबों डॉलर की बचत होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 में अमेरिका ने भारत की दवाओं से 219 बिलियन डॉलर बचाए थे।
ट्रंप ने शुरु किया टैरिफ वॉर
भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं, जिससे टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। हेल्थकेयर डेटा और एनालिटिक्स कंपनी आईक्यूवीआईए ने कहा कि 2022 में अमेरिका में दिए गए दस में से चार प्रिस्क्रिप्शन भारतीय कंपनियों के थे। अमेरिका द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के बाद ट्रेड वार की स्थिति पैदा हो गई है।
पिछले सप्ताह चीन द्वारा घोषित 34 प्रतिशत टैरिफ के जवाब में अमेरिका ने चीन से आयात पर अतिरिक्त 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया। अतिरिक्त 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से चीनी आयात पर अमेरिकी टैरिफ 104 प्रतिशत हो जाएगा। ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने मंदी की आशंकाओं को बढ़ा दिया है।
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