इजरायल-ईरान जंग शुरु, जानें क्यों पूरी दुनिया के लिए है टाइम बम बना मिडिल ईस्‍ट?

मिडिल ईस्‍ट में शामिल इन देशों की नफरत किसी टाइम बम की टिक-टिक करती उस घड़ी की तरह है जो कभी भी अपना समय पूरा करने पर फट सकती है। यही हाल मिडिल ईस्‍ट का भी है।

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Iran Israel war: ईरान-इजराइल में तनाव बढ़ता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि ईरान की तरफ से इजरायल पर हमला किया गया है। इसकी कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है लेकिन अभी ऑफिशियल सूचना जारी नहीं की है। लेकिन देश के उत्तरी इलाके गैलिली के ऊपर एक साथ 40 से अधिक रॉकेट दागे गए। इस हमले को ईरान के सबसे खास समर्थक चरमपंथी संगठन हिजबुल्ला ने किया।

लेबनान में ईरान के प्रॉक्सी हिजबुल्ला ने एक बयान में कहा कि उसने उत्तरी इजरायल में इजरायली सेना की तोपों को निशाना बनाते हुए दर्जनों रॉकेट दागे हैं। इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने रॉकेट हमलों की पुष्टि करते हुए कहा है कि इसमें कोई घायल नहीं हुआ है। आईडीएफ के वार रूम ने हमले का वीडियो भी जारी किया है।

इस बीच अमेरिका ने अपना वॉरशिप इजराइल भेजा है। अमेरिका का एयरक्राफ्ट कैरियर USS ड्वाइट आइजनहावर लाल सागर के रास्ते इजराइल पहुंच रहा है। ये ईरान की तरफ से दागी जाने वाली मिसाइल और ड्रोन को रोकने में सक्षम है।

वहीं, ईरान-इजराइल के बीच बढ़ते तनाव को लेकर शुक्रवार देर रात अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान को चेतावनी दी। कहा- हमला न करें। हम इजराइल की रक्षा करेंगे। हम इजराइल का सपोर्ट करते हैं। ईरान अपने मंसूबों में सफल नहीं होगा।

टाइम्स ऑफ इजराइल ने अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया है कि ईरान आने वाले दिनों में इजराइल और मिडिल ईस्ट में कई जगहों को निशाना बनाएगा। ईरान के अटैक से बचने के लिए अमेरिका इजराइल की मदद करेगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ईरान में क्रूज मिसाइलों और ड्रोन से जुड़ी भारी मुवमेंट ट्रैक की गई है। इसका मतलब ये हो सकता है कि हमला ईरान की जमीन से हो सकता है।

इधर, भारत समेत 6 देशों- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और जर्मनी ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें नागरिकों को ईरान और इजराइल न जाने की सलाह दी गई है।  ईरान में भारतीय दूतावास ने तनाव की स्थिति में वहां भारतीय नागरिकों की मदद के लिए एक इमरजेंसी नंबर जारी किया है।

ईरान-इजराइल से भारतीयों को बचाने की तैयारी
ईरान में लगभग 4,000 भारतीय रहते हैं। वहीं, इजराइल में 18,500 प्रवासी भारतीय रहते हैं। न्यूज एजेंसी PTI ने बताया कि भारत दोनों देशों से भारतीयों को बचाकर वापस देश लाने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा वहां भारतीयों के लिए सुरक्षा के इंतजाम किए जा रहे हैं।

क्यों बढ़ा ईरान-इजरायल में तनाव
दरअसल, 1 अप्रैल को इजराइल ने सीरिया में ईरानी एंबेसी के पास एयरस्ट्राइक की थी। इसमें ईरान के दो टॉप आर्मी कमांडर्स समेत 13 लोग मारे गए थे। इसके बाद ईरान ने बदला लेने के लिए इजराइल पर अटैक करने की धमकी दी थी।

पूरे मिडिल ईस्ट में जंग फैल सकती है
ईरान और इजराइल के बीच दुश्मनी जगजाहिर है, हालांकि दोनों देश कभी सीधेतौर पर एक-दूसरे से टकराने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। ईरान ने हमेश हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों का सहारा लिया। वहीं, इजराइल सीधे तौर पर ईरानी ठिकानों पर हमला करता है। अब अगर ईरान सीधेतौर पर इजराइल को निशाना बनाता है तो सबसे बड़ा खतरा इस बात का है कि पूरे मिडिल ईस्ट में यह जंग फैल जाएगी और इसके नतीजे खतरनाक होंगे।

मिडिल ईस्ट में कितने देश
मिडिल ईस्ट के 18 देशों में से 13 देश अरब दुनिया का हिस्सा है. साथ ही इन देशों में सबसे ज्यादा आबादी वाले देश मिस्र , तुर्की और ईरान हैं। मिडिल ईस्‍ट में लगातार बढ़ती नफरत किसी भी वक्‍त बड़े युद्ध का रूप ले सकती है। यहां की बढ़ती नफरत की वजह धार्मिक कट्टरवाद, आतंकवाद का साथ और अपने निजी हित हैं। आलम ये है कि मौजूदा समय में मिडिल ईस्‍ट में शामिल 18 देशों में ज्‍यादातर देश एक दूसरे को नामपसंद करते हैं।

किस देश को किस से नफरत
मिडिल ईस्‍ट में शामिल 18 देशों में बहरीन, साइप्रस, मिस्र, ईरान, इराक, इजरायल, जोर्डन, कुवैत, लेबनान, उत्तरी साइप्रस, ओमान, फिलिस्‍तीन, कतर, सऊदी अरब, सीरिया, तुर्की, यूएई, और यमन हैं। मौजूदा परिस्थितियों में इजरायल, ईरान को पसंद नहीं करता है। इराक, सीरिया को नापसंद करता है, सीरिया तुर्की को पंसद नहीं, तुर्की से इजरायल का छत्तीस का आंकड़ा है। फिलिस्‍तीन भी इजरायल को पसंद नहीं करता है। कुवैत, इराक से नफरत करता है। लेबनान, ओमान और जोर्डन में आतंकवाद की जड़े बड़ी गहरी हैं। इसलिए ये दूसरे देशों के आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। यूएई को यदि छोड़ दें तो ये बेहद साफ है कि यहां की आबोहवा में शांति और यहां फैली आपसी नफरत को खत्म करने का कोई जरिया फिलहाल दिखाई नहीं देता है।

मिडिल ईस्‍ट में शामिल इन देशों की नफरत किसी टाइम बम की टिक-टिक करती उस घड़ी की तरह है जो कभी भी अपना समय पूरा करने पर फट सकती है। यही हाल मिडिल ईस्‍ट का भी है। यह पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। यदि यहां की लगातार बढ़ रही नफरत को यदि न रोका गया तो यह किसी भी वक्‍त बड़े युद्ध को न्‍योता दे सकती है।

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