इंटरनेशनल डेस्क: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (गुरुवार) यानी आज भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस मुलाकात का सबसे बड़ा कारण है S-400मिसाइल (एस-400 वायु प्रतिरक्षा प्रणाली)। जिसे खरीदने के लिए भारत और रूस के बीच लगभग समझौता तय माना जा रहा है। लेकिन इसमें एक अड़चन अमेरिका बना हुआ है। जोकि चाहता है कि भारत S-400 की जगह उसका बनाया थाड (THAAD-टर्मिनल हाई ऑल्टिट्यूड एरिया डिफेंस) सिस्टम खरीदे। भारत पर वह लगातार दबाव भी बनाता रहा है लेकिन थाड की डील नहीं हुई।
पुतिन के भारत आने से पाकिस्तान खुश नहीं है। वह नहीं चाहता भारत इस समझौते पर हस्ताक्षर करें। पाक ही नहीं चीन भी लिस्ट में शामिल है। अगर यह सौदा हुआ तो देश की प्रतिरक्षा कवच और सुदृढ़ और अभेद्य हो जाएगी। इससे कहीं न कहीं पड़ोसी मुल्क कमजोर होंगे।
इसके अलावा पुतिन अपनी भारत यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। दोनों नेता ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध के मद्देनजर कच्चे तेल की स्थिति समेत विभिन्न द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा कर सकते हैं। खैर, आप तो ये जानिए की आखिर भारत अमेरिका का निर्मित थाड में दिलचस्पी ना दिखाकर रूस निर्मित एस-400 क्यों खरीदना चाहता है।
दोनों मिसाइल की मारक क्षमता में अंतर-
एस-400 और थाड दोनों एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली हैं लेकिन दोनों की मारक क्षमता में काफी अंतर है। S-400 300 किलोमीटर की रेंज तक मार कर सकता है। यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ की नीति पर काम करता है. S-400 जहां कई स्तर के डिफेंस सिस्टम पर काम करता है, तो थाड सिंगल लेयर डिफेंस प्रणाली है। S-400 लगभग 400 किमी के दायरे में किसी भी विमान, मिसाइल और ड्रोन को नष्ट कर सकता है। इसकी मारक क्षमता अचूक है क्योंकि यह एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग सकता है। जबकि अमेरिकी थाड ऐसा एंटी मिसाइल सिस्टम है जो खतरे को भेदने से ज्यादा अपने लड़ाकू विमानों की सुरक्षा में ज्यादा प्रयोग होता है।
एक बार में 72 मिसाइलें छोड़ने की शक्ति-
अमेरिकी थाड डिफेंस सिस्टम कोई विस्फोटक वॉरहेड रॉकेट नहीं है। दरअसल थाड टारगेट को निशाना बनाता है न कि उसमें विस्फोट कर उसे तबाह करता है। जबकि S-400 के जरिए एक साथ तीन मिसाइल छोड़ी जा सकती है। एक चरण में कुल 72 मिसाइलें शामिल रहती हैं। यह एक साथ कई लक्ष्यों पर वार कर सकता है।
100 हवाई खतरों पर एक साथ हमला-
अमेरिकी थाड जहां 3 हजार मीटर प्रति सेकेंड की गति से आते खतरों को भेद सकता है, तो S-400 4,800 मीटर प्रति सेकेंड वाले टारगेट को आसानी से तबाह कर सकता है। S-400 ट्रंफ मिसाइल एक साथ 100 हवाई खतरों को भांप सकता है और अमेरिका निर्मित एफ-35 जैसे 6 लड़ाकू विमानों को एक साथ दाग सकता है।
हर दिशा में एक साथ निशाना-
S-400 एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगा सकता है। इसके अलावा इसमें स्टैंड-ऑफ जैमर एयरक्राफ्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग और कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट है। यह बैलिस्टिक और क्रूज दोनों मिसाइलों को बीच में ही नष्ट कर सकता है, जबकि थाड में एक ही प्रकार का मिसाइल सिस्टम होता है जो किसी एक दिशा में निशाना साधता है।
कीमतों में काफी अंतर-
दोनों मिसाइल सिस्टम की कीमतों की तुलना करें, तो 6 लॉन्चर और 8 इंटरसेप्टर के साथ एक थाड की कीमत 2-3 अरब डॉलर है, जबकि S-400 8 लॉन्चर और चार इंटरसेप्टर के साथ 500 मिलियन डॉलर में खरीदा जा सकता है। कुल मिलाकर S-400 थाड की तुलना में 6 गुना सस्ता है।
तैनाती में कोई परेशानी ने-
S-400 रोड मोबाइल है और इसके बारे में कहा जाता है कि आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है। S-400 की रेंज 150 किमी है, जबकि थाड मात्र 30 किमी तक मार करता है. S-400 360 डिग्री के दायरे में स्कैन कर निशाने को भेद सकता है, जबकि थाड 90 डिग्री होरिजोंटल और 60 डिग्री वर्टिकल स्वीप पर काम करता है।
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