चीन बना भारत के लिए खतरा, जमीनी कब्जे के साथ LAC पर तैनात की आर्मी और परमाणु हथियार, पेंटागन रिपोर्ट में खुलासा

चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का लक्ष्य 2049 तक वर्ल्ड क्लास मिलिट्री बनाना है। चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी नेवी है। इसमें 370 वॉरशिप और सबमरीन शामिल हैं।

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Pentagon Report On China: चीन ने LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर सैन्य तैनाती के साथ सड़कें, गांव, स्टोरेज फैसेलिटीज, एयरफील्ड और हेलीपैड तक बना डाली है लेकिन भारत की तरफ से कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है। इसका खुलासा अब अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन की रिपोर्ट में हुई है। रिपोर्ट का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल है।

इससे पहले अगस्त में आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चीन विवादित अक्साई चिन क्षेत्र में सुरंग बना रहा है। मैक्सार की सैटेलाइट तस्वीरों में इसका खुलासा हुआ था। रिपोर्ट में देपसांग से 60 किमी दूर एक नदी घाटी के किनारे पहाड़ी पर सुरंगें होने का दावा था। कहा गया था कि इनका इस्तेमाल सैनिकों और हथियारों को रखने के लिए किया जा सकता है।

पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चीन का मकसद इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में किसी भी तीसरे पक्ष को रोकने या जरूरत पर उसे हराना है। इसके लिए ही वह लगातार अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चीन जमीन, समुद्र और हवा से वार करने के अलावा न्यूक्लियर, स्पेस, इलेक्ट्रॉनिक और साइबरस्पेस में भी जंग के लिए अपनी क्षमता बढ़ा रहा है।

जिनपिंग का लक्ष्य 2049 तक वर्ल्ड क्लास मिलिट्री बनाना
पेंटागन
के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग का लक्ष्य 2049 तक वर्ल्ड क्लास मिलिट्री बनाना है। चीन के पास पहले से ही दुनिया की सबसे बड़ी नेवी है। इसमें 370 वॉरशिप और सबमरीन शामिल हैं। चीन के पास 140 सर्फेस कॉम्बैटेंट्स हैं। ये नेवल वॉरशिप्स की ही तरह होते हैं। इनमें हथियार और सैनिक तैनात होते हैं।


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चीन का लक्ष्य 2030 तक एक हजार परमाणु हथियार बनाना
जिसमें बताया गया है कि चीन ने पिछले एक साल में परमाणु हथियारों की संख्या भी बढ़ाई है। उसके पास अब 500 न्यूक्लियर वॉरहेड्स हैं। इससे पहले स्वीडन के थिंक टैंक SIPRI ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पिछले कुछ सालों में चीन ने अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में 60 नए हथियार जोड़े हैं। पेंटागन के मुताबिक, चीन का लक्ष्य 2030 तक एक हजार परमाणु हथियार बनाने का है।

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रिपोर्ट के मुताबिक, 3,488 किलोमीटर लंबी LAC पर चीनी वेस्टर्न थिएटर कमांड की तैनाती 2023 तक जारी रहेगी। चीन ने पिछले साल LAC के पश्चिमी क्षेत्र यानी लद्दाख की तरफ रिजर्व में चार कम्बाइंड-आर्म्स ब्रिगेड (CAB) के साथ शिंजियांग और तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट्स के दो डिवीजन के समर्थन से एक बॉर्डर रेजिमेंट तैनात की थी।

LAC के तीनों सेक्टर में चीन ने बढ़ाई सैन्य तैनाती
चीन ने 3 CAB सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश के बॉर्डर के पास भी तैनात किए हैं। इसके अलावा इन्हें उत्तराखंड और हिमाचल के पास मौजूद LAC पर भी तैनात किया गया है। पेंटागन ने यह भी बताया है कि चीन ने डोकलाम के पास भी जमीन के नीचे स्टोरेज फैसेलिटीज बनाई हैं। इसके अलावा LAC के तीनों सेक्टर में नई सड़कों का भी निर्माण किया गया है। पैंगोंग झील पर एक दूसरा ब्रिज भी बनाया है। चीन ने भूटान के साथ विवादित इलाकों में भी गांव बसाए हैं।

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मैकमोहन लाइन को नहीं मानता चीन
भारत पश्चिमी सेक्टर में अक्साई चिन पर अपना दावा करता है लेकिन ये इलाका फिलहाल चीन के नियंत्रण में है। भारत के साथ 1962 के युद्ध के दौरान चीन ने इस पूरे इलाक़े पर कब्जा कर लिया था। वहीं पूर्वी सेक्टर में चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा करता है। चीन कहता है कि ये दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है। चीन तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश के बीच की मैकमोहन रेखा को भी नहीं मानता है।

चीन का कहना है कि 1914 में जब ब्रिटिश भारत और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने ये समझौता किया था, तब वो वहां मौजूद नहीं था। उसका कहना है कि तिब्बत चीन का अंग रहा है इसलिए वो खुद कोई फैसला नहीं ले सकता। 1950 में चीन ने तिब्बत को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया।  कुल मिलाकर चीन अरुणाचल प्रदेश में मैकमोहन लाइन को नहीं मानता और अक्साई चिन पर भारत के दावे को भी खारिज करता है।

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साल 2020 में सैनिक के बीच हिंसक संघर्ष
जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक के बीच हिंसक संघर्ष हुआ था। भारत के 20 सैनिकों की मौत हुई थी और चीन से आई जानकारी के मुताबिक़ उसके चार सैनिक मरे थे। उसके बाद भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमावर्ती इलाको में हल्की-फुल्की झड़पें होती रही हैं। (पेंटागन रिपोर्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें)

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