पेजर, वॉकी-टॉकी अब सोलर पैनल में ब्लास्ट, लेबनान में सीरियल धमाकों के पीछे कौन है ‘यूनिट 8200’

यूनिट 8200 का मुख्य फोकस तकनीक होती है। यह खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और उस पर एक्शन लेने के तकनीकी एंगल पर काम करती है।

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लेबनान (Lebanon Blast) में बीते तीन दिनों से लगातार धमाके हो रहे हैं। अबतक 32 लोगों की मौत और 3 हजार से ज्यादा लोगों के घायल होने की जानकारी मिली है। सबसे पहले यह धमाके हिजबुल्लाह आतंकियों पेजर डिवाइस में हुए। इसके बाद इन धमाकों का सिलसिला वॉकी-टॉकी से होते हुए सोलर पैनल और दफ्तरों में लगने वाली बायोमीट्रिक मशीनों तक पहुँच गया। लेबनान में हो रहे इन धमाकों के पीछे क्या कारण है, यह अभी तक साफ़ नहीं हो पाया है लेकिन इन सबके पीछे एक नाम यूनिट 8200 काफी चर्चा में है।

जिन वॉकी-टॉकी में धमाके हुए हैं, उस पर ICOM V82 लिखा है जो कि जापान में बनती हैं। इसे बनाने वाली कंपनी आईकॉम इंक ने कहा कि वे इस दावे की जांच कर रहे हैं। वहीं, CNN के मुताबिक वॉकी-टॉकी बनाने वाली जापानी कंपनी आईकॉम इंक ने लेबनान में जिस मॉडल के वॉकी-टॉकी का इस्तेमाल हो रहा था उसका प्रोडक्शन 10 साल पहले ही बंद हो गया था। कंपनी ने कहा कि वो अभी तय नहीं कर पाई है कि ब्लास्ट होने वाले वॉकी-टॉकी नकली हैं या फिर उनकी ही कंपनी के हैं।

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ई-धमाकों पर अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बुधवार को व्हाइट हाउस में कहा कि लेबनान में पेजर और वॉकी टॉकी ब्लास्ट में अमेरिका शामिल नहीं है। हिजबुल्लाह ने इन हमलों के पीछे इजराइल का हाथ बताया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शुक्रवार को इस मामले में आपात बैठक बुलाई है।

 

क्या है इजरायल की यूनिट 8200?
जिस यूनिट 8200 पर बात हो रही है, वह इजरायल की सेना का हिस्सा है। यह इजरायली सेना के इंटेलिजेंस डायरेक्टरेट के अंतर्गत आती है। इसके अलावा दो और यूनिट इसके अंतर्गत काम करती है। यूनिट 8200 का मुख्य फोकस तकनीक होती है। यह खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और उस पर एक्शन लेने के तकनीकी एंगल पर काम करती है।

इजरायल की यह यूनिट उसकी मुख्य खुफिया एजेंसी मोसाद से इतर है। मोसाद जहाँ देश की प्रमुख खुफिया एजेंसी है और उसके ऑपरेशन विदेशों में भी चलते हैं, वहीं उसके मुकाबले यूनिट 8200 छोटी टीम है और इसका मुख्य फोकस तकनीक पर रहता है।

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यूनिट 8200 मात्र खुफिया जानकारी इकट्ठा ही नहीं करती बल्कि वह टूल्स भी बनाती हैं जो इसमें काम आते हैं। इसके अलावा यह साइबर युद्ध और टेलीकम्यूनिकेशन जैसी तकनीकों में भी माहिर है। हमेशा पर्दे के पीछे रह काम करने वाली यह एजेंसी सामान्य फोन की बातचीत से लेकर जटिल कम्प्यूटर वाली तकनीकों को हैक करने में सक्षम मानी जाती है।

लेबनान हमले के मामले में यूनिट 8200 का नाम इसलिए आया है क्योंकि ऐसी तकनीकी क्षमता इसी के पास है। बताया जा रहा है कि लेबनान में हुए धमाकों की प्लानिंग में यह ख़ुफ़िया एजेंसी शुरूआती दिनों से जुड़ी हुई थी। कथित तौर पर इसका काम इन पेजरों और बाकी मशीनों में विस्फोटक को रखना था।

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