फ्रांस में चुनावी नतीजों के बाद हिंसा भड़की, पद नहीं छोड़ेंगे राष्ट्रपति मैक्रों

नेशनल असेंबली के चुनाव में मैक्रों की रेनेसां पार्टी हार चुकी है, लेकिन मैक्रों पद पर बने रहेंगे। मैक्रों ने पहले ही कह दिया है कि चाहे कोई भी जीत जाए वे राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देंगे।

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Emmanuel Macron

फ्रांस में रविवार को हुए संसदीय चुनाव के नतीजों में राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों की रेनेसां पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। गृह मंत्रालय ने सोमवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि कुल 577 सीटों में से वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (NFP) गठबंधन को 182 सीटें मिलीं। दूसरे नंबर पर रेनेसां पार्टी रही। इसे 163 सीटें मिलीं। वहीं, दक्षिणपंथी नेशनल रैली (NR) गठबंधन को 143 सीट हासिल करने में कामयाब रही।

नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए किसी भी पार्टी को 289 सीटें जीतना जरूरी है। ऐसे में अब किसी भी पार्टी के पास बहुमत नहीं है। विशेषज्ञों ने अनुमान जताया है कि अब पार्टियां गठबंधन के सहारे बहुमत पाने कि कोशिश करेगी।

वहीं दूसरी ओर, संसदीय चुनाव में शुरुआती नतीजों के बाद हिंसा भड़क गई। दक्षिणपंथी नेशनल रैली (NR) के लोग सड़क पर आ गए और प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान पुलिस ने सेंट्रल पेरिस में लोगों पर आंसू गैस के गोले दागे, जिसमें कई लोग घायल हो गए।

दरअसल इससे पहले 30 जून को हुए चुनाव हुआ था। इसमें दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली (NR) को सबसे ज्यादा 35.15% वोट मिले, जिसके बाद अनुमान था कि पार्टी को 230-280 सीटें मिल सकती हैं, लेकिन आज आए नतीजों में इसका उल्टा हुआ।

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हार बावजूद भी पद पर बने रहेंगे मैक्रों
नेशनल असेंबली के चुनाव में मैक्रों की रेनेसां पार्टी हार चुकी है, लेकिन मैक्रों पद पर बने रहेंगे। मैक्रों ने पहले ही कह दिया है कि चाहे कोई भी जीत जाए वे राष्ट्रपति पद से इस्तीफा नहीं देंगे। दरअसल, यूरोपीय संघ के चुनाव में हार के बाद अगर मैक्रों की पार्टी संसद में भी हार जाती है तो उन पर राष्ट्रपति पद छोड़ने का दबाव बन सकता है। इसलिए मैक्रों ने पहले ही साफ कर दिया है कि वे अपना पद नहीं छोड़ेंगे।

फ्रांस में राष्ट्रपति और नेशनल असेंबली के चुनाव अलग-अलग होते हैं। ऐसे में अगर किसी पार्टी के पास संसद में बहुमत नहीं है तो भी राष्ट्रपति चुनाव में उस पार्टी का लीडर जीत हासिल कर सकता है। 2022 के चुनाव में इमैनुएल मैक्रों के साथ भी यही हुआ था। वे राष्ट्रपति पद का चुनाव जीत गए थे, लेकिन नेशनल असेंबली में उनके गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था।

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