अमेरिकी चुनाव के नतीजे 6 नवंबर 2024 को सामने आ चुके हैं। अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने जीत हासिल की है। इसी के साथ ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनेंगे। ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा लेकर सत्ता में वापसी कर रहे ट्रम्प के साथ भारत के संबंध कैसे होंगे।
दरअसल कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति (US Presidential Elections 2024) बनने से भारत के उद्योगों पर बुरा असर पड़ सकता है। कुछ क्षेत्रों को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
भारत के निर्यात पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं
ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने का असर भारत के निर्यात पर देखने को मिल सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि ट्रम्प भारत को टैरिफ किंग यानी अमेरिकी सामान पर ज्यादा टैक्स लगाने वाला देश बताते रहे हैं। ट्रम्प ने 17 सितंबर को चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि आयात शुल्क के मामले में भारत बहुत सख्त है। अगर मेरी सरकार आती है तो इस स्थिति को बदलेंगे और भारत पर टैरिफ शुल्क कम करने का दबाव बनाएंगे।दोनों देशों के बीच पिछले साल यानी 2023-24 में 128.78 बिलियन डॉलर यानी करीब 10 लाख करोड़ का कारोबार हुआ। इस दौरान भारत ने अमेरिका को 77.52 बिलियन यानी 6 लाख करोड़ रुपए का निर्यात किया था।
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दुनिया के रुकेंगे युद्ध
डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति बनने के साथ ही उनके सामने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास जंग जैसी बड़ी चुनौतियां मौजूद हैं। ट्रम्प पहले ही पीस थ्रू पॉवर यानी ताकत के दम पर शांति लाने की बात कह चुके हैं। रूस-यूक्रेन जंग पर ट्रम्प पहले भी बयान देते रहे हैं। एक इंटरव्यू के दौरान ट्रम्प ने कहा था कि-अगर मैं राष्ट्रपति बना तो रूस-यूक्रेन जंग रुकवा देंगे।
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दूसरी तरफ इजराइल-हमास जंग पर ट्रम्प का रवैया थोड़ा अलग रहा है। ट्रम्प जल्द से जल्द गाजा में युद्ध को खत्म करने की बात कह चुके हैं। हालांकि ये साफ नहीं है कि वो सीजफायर के जरिए युद्ध को खत्म करना चाहते हैं या हमास को खत्म करके। ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में कई मौकों पर खुलकर इजराइल का समर्थन दिया था। उन्होंने तेल अवीव की जगह यरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता देने की बात कही थी।
H1-B वीजा
ट्रम्प ने पहले कार्यकाल में H1-B वीजा के नियम बदले थे। नए नियमों में विदेशी कर्मचारियों के लिए तो सैलरी तो अमेरिकी कर्मचारियों के बराबर रखी, लेकिन प्रवासी कामगारों पर कई शर्तें भी लगा दीं। इसके चलते ट्रम्प के पहले कार्यकाल में H1-B वीजा एप्लिकेशन को नकारने की दर बढ़ गई थी। नियमों के चलते वीजा प्रॉसेस पूरी होने का टाइम भी बढ़ गया था। 2023 में कुल 3.86 लाख प्रवासियों को H1-B वीजा दिया जिसमें 2.79 लाख भारतीय थे। अब ट्रम्प वापस लौटे हैं, जो पहले ही H1-B वीजा को अमेरिकी वर्कफोर्स के लिए बेहद खराब बता चुके हैं।
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ट्रम्प दोबारा ऐसे नियम और शर्तें लागू करते हैं तो इसका सबसे ज्यादा असर भारतीय IT सेक्टर्स, फाइनेंस और दूसरे प्रोफेशनल्स पर पड़ेगा, जो कि अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B वीजा पर निर्भर हैं। अभी अमेरिका में करीब 51 लाख भारतीय प्रवासी हैं। अमेरिका में सभी प्रवासियों कामगारों में भारतीय वर्कर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। 2021 में यहां कुल प्रवासी भारतीयों में 16 साल और उससे ऊपर आयु के 72% लोग काम कर रहे थे। दूसरी तरफ ट्रम्प का अमेरिका में अवैध रूप से घुसने वाले अप्रवासियों के खिलाफ भी सख्त रवैया रहा है। पिछले साल 29 लाख लोगों को अवैध तरीके बॉर्डर पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इनमें 90,415 भारतीय थे।
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