क्या चीन लेगा 20 हजार कोरोना मरीजों की जान, भारतीय ने तुरंत की आत्महत्या, जानें क्या सच?

0
718

इंटरनेशनल डेस्क: चीन में फैले कोरोना वायरस का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। भारत और अमेरिका समेत दुनिया के कई मुल्कों ने चीन को इस गंभीर महामारी से निपटने में हर संभव मदद करने की पेशकश की है। वहीं खबर है कि आंध्र प्रदेश में 50 साल के युवक ने कोरोनावायरस संक्रमण की आशंका के बाद मंगलवार को आत्महत्या कर ली। उनका इलाज करने वाले डॉक्टर ने पुष्टि की कि उसे वायरल बुखार था। हालांकि, कोरोनोवायरस के कोई लक्षण नहीं थे। उनके रिश्तेदारों ने बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए खुद को मार डाला।

कोरोना वायरस को लेकर लोगों के मन में डर बढ़ने लगा है। ऐसे में कई अफवाह भी फैल रही है जो लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रही है। दरअसल ऐसी अफवाह भी फैल रही है कि चीन ने अपने 20 हजार कोरोना मरीजों को मारने के लिए कोर्ट से इजाजत मांगी है ताकि इस महामारी पर रोक लगाई जा सके। हालांकि चीन के प्रशासन इसे पूरी तरह खारिज करते हुए सिर्फ झूठ करार दिया और कहा कि चीन की सरकार इस बीमारी से मजबूती के साथ लड़ रही है।

वहीं चीन के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिसमें कोरोना वायरस के पीड़ित लोगों को बॉक्स में बंद करते दिखाया जा रहा है। हालांकि हमारे पास इस वीडियो को सच्चाई की पुष्ठि नहीं करते हैं। लेकिन इतना कहेंगे कि बीमारी पर संदेह कीजिए लेकिन किसी भी प्रकार की अफवाह को बिना जांच-परख के व्हासऐप या सोशल नेटवर्क पर ना शेयर करें।

बता दें, चीन में सोमवार तक कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर 900 पहुंच चुका है, साथ ही इससे संक्रमण के पुष्ट मामले 40 हजार के पार जा चुके हैं। रविवार को कोराना के संक्रमण से 97 लोगों की मौत हुई है जबकि संक्रमण ने 3062 नए मामले रिपोर्ट किए गए हैं।

ये भी पढ़ें: कोरोना वायरस को लेकर वैज्ञानिकों ने किया बेहद डरावना खुलासा, घर की इन चीजों से रहें सावधान

बदला गया कोरोनावायरस का नाम-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंगलवार को नोवेल कोरोनावायरस का नया आधिकारिक नाम ‘कोविड-19’ रखा। को- कोरोना, वि- वायरस और डी का मतलब डिजीज है। चीन के हेल्थ कमीशन ने 8 फरवरी कोरोनावायरस का नाम बदलकर नोवेल कोरोनावायरस निमोनिया (एनसीपी) कर दिया था। कमीशन ने कहा था कि जब तक इसका कोई स्थायी नाम नहीं रखा जाता है, तब तक चीन में सरकारी विभागों और संगठनों में इसे (एनसीपी) ही कहा जाएगा।

ये भी पढ़ें: कोरोना वायरस से जुड़े भ्रमित करने वाले सवालों का WHO ने दिया जवाब, इस खबर को जरूर पढ़ें

जेनेवा में 400 वैज्ञानिकों की बैठक-
जेनेवा में 400 वैज्ञानिक कोरोनावायरस से निपटने और उसके संभावित टीके को कैसे इस्तेमाल करें, इस पर विचार के लिए जमा हुए हैं। दो दिन के इस कांफ्रेंस में वायरस से बचाव के उपायों की समीक्षा की जा रही है। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडहोनम गेब्रेसिएसस ने प्रेस ब्रिफिंग में कहा- डब्ल्यूएचओ, ओआईई एनिमल हेल्थ और एफएओ के बीच सहमत दिशानिर्देशों के तहत हमें एक ऐसा नाम ढूंढना था, जो किसी भौगोलिक स्थान, एक जानवर, एक व्यक्ति या लोगों के समूह का उल्लेख न करे और बीमारी से संबंधित हो।

टेड्रोस ने कहा- ‘‘चीन में वायरस के 99% मामले सामने आए हैं। यह वहां के लिए आपदा बना हुआ है, लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों के लिए भी यह बेहद गंभीर खतरा है। सबसे ज्यादा जरूरी वायरस को फैलने से रोकना है।’’ विशेषज्ञों ने कहा- 2003 में सार्स के प्रकोप के बाद वायरस के किसी भी सतह पर जिंदा रहने की अवधि का पता लगाने के लिए बहुत सारे शोध किए गए हैं। कोरोना सार्स फैमिली का ही वायरस है।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें..