कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो (justin trudeau) को अपनी पार्टी में ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लिबरल पार्टी के सांसदों ने ट्रूडो को प्रधानमंत्री पद छोड़ने के लिए 28 अक्टूबर तक वक्त दिया है। सांसदों ने ट्रूडो से कहा है कि वे चौथी बार प्रधानमंत्री पद की दौड़ में शामिल न हों। पिछले 100 वर्षों में किसी भी कनाडाई नेता ने चौथी बार चुनाव नहीं जीता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रूडो की पार्टी के 24 सांसदों ने PM को चुनाव से पहले हटाने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने एक मांग पत्र पर दस्तखत भी किए हैं। सांसदों द्वारा साइन किए गए इस मांग पत्र को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। इस पत्र में सांसदों ने ट्रूडो से अगले साल के आम चुनाव में हार के खतरे को देखते हुए चुनाव से पहले ही इस्तीफा देने की मांग की है।
बता दें, अभी कनाडा की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के 153 सांसद हैं। कनाडा के हाउस में कॉमन्स में 338 सीटें है। इसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। इस महीने की शुरुआत में ट्रूडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने अपना से समर्थन वापस ले लिया था।
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एनडीपी खालिस्तानी समर्थक कनाडाई सिख सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है। गठबंधन टूटने की वजह से ट्रूडो सरकार अल्पमत में आ गई थी। हालांकि 1 अक्टूबर को हुए बहुमत परीक्षण में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी का समर्थन मिल गया था। इस वजह से ट्रूडो ने फ्लोर टेस्ट पास कर लिया था।
सर्वे से परेशान है ट्रूडो की पार्टी
जस्टिन ट्रूडो के ही मंत्री मार्क मिलर ने बताया कि वहां क्या हुआ, यह सब जानते हैं। सांसदों ने प्रधानमंत्री ट्रूडो को सच से रूबरू करवाया है। अब वो इसे सुनना चाहते हैं या नहीं, यह उन पर निर्भर करता है। हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार आगामी चुनाव में कंजरवेटिव पार्टी को 39 प्रतिशत, लिबरल पार्टी को 23 प्रतिशत और न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी को 21 प्रतिशत वोट मिलने की संभावना है। इस सर्वे के सामने आने के बाद से ट्रूडो की लिबरल पार्टी में हलचल तेज हो गई है।
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ट्रूडो की पार्टी क्यों बनी विरोधी
PM ट्रूडो ने बुधवार को लिबरल पार्टी के 20 सांसदों से बंद कमरे में मुलाकात भी की। इस बैठक में लिबरल पार्टी से ब्रिटिश कोलंबिया के सांसद पैट्रिक वीलर ने अगले साल चुनाव में जीत हासिल करने के लिए PM के इस्तीफे को जरूरी बताया।
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वीलर ने कहा कि अमेरिका में बाइडेन की लीडरशिप में डेमोक्रेटिक पार्टी चुनाव में बहुत पीछे थी। इसके बाद उन्होंने दावेदारी छोड़ी और कमला हैरिस का नाम आगे किया। इससे डेमोक्रेटिक पार्टी की बढ़त मजबूत हो गई। उन्होंने कहा कि कनाडा में भी लिबरल पार्टी इसी तरीके से वापसी कर सकती है।
कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से लिबरल सांसद केन मैकडोनाल्ड ने कहा कि ट्रूडो को लोगों की बात सुननी होगी। उन्होंने कहा कि उनके कई सहकर्मी ऐसे हैं जो आगामी चुनाव लड़ना चाह रहे हैं, लेकिन खराब मतदान संख्या और लिबरल्स की गिरती लोकप्रियता के कारण घबराए हुए हैं।
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ट्रूडो चुनाव जीतने के लिए भारत पर लगाएं गंभीर आरोप
अगले साल अक्टूबर 2025 में कनाडा के अंदर लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। यही वजह है कि दोबारा सत्ता में आने के लिए ट्रूडो कई पैंतरे आजमा रहे हैं। भारत पर झूठे आरोप लगाने से लेकर दोनों देशों के रिश्ते खराब करने में ट्रूडो ने मुख्य भूमिका निभाई है। कनाडा में मौजूद भारतीय NRIs और भारतीय मूल के सिख वोट बैंक को साधने के लिए जस्टिन ट्रूडो कई विवादित बयान दे चुके हैं। यही नहीं, कनाडा के लोग भी उनकी नीतियों से काफी खफा हैं।
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