BRICS Summit 2024: ब्रिक्स देश नई करेंसी क्यों चाहते हैं? जानें इसका डॉलर पर कैसे पड़ेगा असर

ब्रिक्स देश अपनी करेंसी बनाते हैं तो इससे अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तगड़ा झटका लग सकता है। कई देशों का मानना है कि अमेरिका और उसकी ताकतवर करेंसी डॉलर को बड़ी चुनौती तभी दी जा सकती है

0
154

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी BRICS Summit 2024 समिट में शामिल होने के लिए रूस के कजान शहर पहुंच गए हैं। PM मोदी इससे पहले जुलाई में भारत-रूस शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। मोदी आज दोपहर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलेंगे। इसके बाद वे आज शाम में BRICS लीडर्स के साथ डिनर में शामिल होंगे। डिनर के दौरान उनकी यहां कई लीडर्स के साथ अनौपचारिक बातचीत हो सकती है।

विदेश मंत्रालय के मुताबिक PM मोदी बुधवार को BRICS की मीटिंग में हिस्सा लेंगे। यह दो सेशन में होगी। सबसे पहले सुबह क्लोज प्लेनरी यानी बंद कमरे में बातचीत होगी। इसके बाद शाम को ओपन प्लेनरी होगी। इस दौरान PM मोदी कई नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे।

इस कार्यक्रम के बीच इंटरनेट पर ब्रिक्स देशों (BRICS Nations) की अपनी करेंसी की चर्चा तेज है। आखिर लोग जानना चाहते हैं कि ये क्या है और कैसे काम करेगा। चलिए इस बारें में आपको विस्तार से बताते हैं?

ये भी पढ़ें: Hyundai India Share Price: बाजार में लिस्ट होते ही डूबने लगे शेयर, जानिए देश का सबसे बड़ा IPO क्यों हुआ फ्लॉप?

दरअसल, अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहांसबर्ग में हुए ब्रिक सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा ने ब्रिक्स देशों के बीच आपस में ट्रेड और इंवेस्टमेंट के लिए कॉमन करेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा था। हालांकि तब सदस्य देशों ने ही इस आईडिया को ज्यादा तरजीह नहीं दी क्योंकि इसकी राह में कई चुनौतियां मौजूद है। ब्रिक्स देशों के बीच ही आर्थिक, राजनीतिक और भौगोलिक तौर पर कई विषमताएं हैं। लेकिन एक बार फिर ये चर्चा तेज है।

ये भी पढ़ें: Dhanteras 2024: धनतेरस पर करें इन 3 शुभ मुहूर्त खरीददारी, चमकेगी इन 3 राशि वालों की किस्मत

अब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने  ब्रिक्स की अपनी करेंसी पर कहा, अभी इसका समय नहीं आया है। हालांकि उन्होंने कहा, 10 देशों के समूह वाला ये संगठन आपसी ट्रेड और इंवेस्टमेंट के लिए डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल की संभावनाएं तलाश रहा है। उन्होंने बताया कि रूस भारत समेत दूसरे देशों से इस पर लगातार बात कर रहा है।

ब्रिक्स करेंसी आने पर क्या होगा अमेरिकी डॉलर का हाल
साल 2023 में ब्रिक्स सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा था कि जो देश अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल नहीं करते हैं उन्हें ट्रेड के लिए डॉलर का इस्तेमाल करने खातिर बाध्य नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि ब्रिक्स देशों की अपनी करेंसी होने से पेमेंट का विकल्प बढ़ जाएगा और इससे करेंसी में होने वाले उतार-चढ़ाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।


लेटेस्ट खबरों के लिए व्हाट्सऐप चैनल से जुड़े, यहां लिंक पर क्लिक करें…

ब्रिक्स देश अपनी करेंसी बनाते हैं तो इससे अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को तगड़ा झटका लग सकता है। कई देशों का मानना है कि अमेरिका और उसकी ताकतवर करेंसी डॉलर को बड़ी चुनौती तभी दी जा सकती है जब अमेरिका के आर्थिक ताकत पर चोट किया जाए।  दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों में रखे 60 फीसदी विदेशी मुद्रा भंडार में डॉलर के रूप में मौजूद है।

ये भी पढ़ें: लॉरेंस बिश्नोई का एनकाउंटर करने वाले को 1,11,11,111 का इनाम, देखें VIDEO किसने किया ये ऐलान

ब्रिक्स देशों की 28 फीसदी वैश्विक अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी
ब्रिक्स में शामिल सदस्य देशों में दुनिया की 45 फीसदी आबादी रहती है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में इनकी 28 फीसदी हिस्सेदारी है। जाहिर है ब्रिक्स देशों के समूह का दुनिया में बड़ा प्रभाव है। इसी प्रभाव के चलते ब्रिक्स देशों की अपनी करेंसी की मांग उठती रही है जिससे डॉलर के प्रभाव को चुनौती दी जा सके। ब्रिक्स में ये क्षमता है कि वो अपनी करेंसी बनाकर अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती दे सके। हालांकि डॉलर की जगह लेना किसी भी करेंसी के लिए इतना आसान भी नहीं है।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।