विश्व डेस्क: दोस्त होना काफी नहीं है, समय-समय पर अपनी दोस्ती को निभाना भी जरूरी है। ये साबित किया है रूस और भारत (India Russia Oil) ने। रूस और यूक्रेन की जंग के बीच भारत ने तेल संबंधी कई परेशानियों का सामना किया है। अब भारत के दोस्त रूस ने भारत के लिए तेल की समस्या को दूर करने के लिए एक नया रूट बनाया है ताकि भारत को आसानी से तेल उपलब्ध करवाया जा सकें।
रूस ने भारत (India Russia Oil) के लिए नया कारोबारी रूट बनाया है, जिस पर पहली बार रूस की ट्रेन भारत के लिए माल लेकर ईरान पहुंची है, जहां से समुद्री रास्ते द्वारा आसानी से माल भारत लाया जा सकेगा। ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ईरान ने बाकायदा इस ट्रेन का स्वागत करने के लिए समारोह भी रखा। इसमें ईरान के प्रथम उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबेर के साथ विभिन्न मंत्रालयों के मंत्रियों ने हिस्सा लिया। यह ट्रेन 6 जुलाई को रूस के चेखव स्टेशन से ईरान के लिए निकली थी।
महत्वाकांक्षी अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (आईएनएसटीसी) का उपयोग करके पहली बार रूस की ट्रेन भारत के लिए माल लेकर ईरान पहुंच गई है। इस दौरान ट्रेन ने कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से होते हुए करीब 3,800 किलोमीटर का सफर तय किया है। ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 39 विशेष कंटेनरों के साथ ट्रेन ने तुर्कमेनिस्तान की सीमा पर सरखास स्टेशन के जरिए ईरान में प्रवेश किया।
ईरान में भारत ने बनाया चाबहार बंदरगाह
भारत ने चाबहार बंदरगाह में अच्छा खासा इनवेस्ट किया है। भारत की मंशा यही है कि इस बंदरगाह के माध्यम से मध्य एशिया के साथ अच्छा कारोबार हो सके। साथ ही पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को, जो कि चीन के सपोर्ट से विकसित किया जा रहा है, उसकी तोड़ चाबहार बन सके। इसी बीच भारत ने इस बंदरगाह को आईएनएसटीसी के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव भी रखा है।
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क्या है आईएनएसटीसी परियोजना
आईएनएसटीसी एक 7,200 किलोमीटर लंबी महत्वाकांक्षी परिवहन परियोजना है। इससे भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के लिए रूस द्वारा आसानी से माल भेजा जा सकता है। भारत को भी इस परियोजना से अच्छा लाभ होगा।
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इसलिए भारत भी इस परियोजना का हमेशा से समर्थन करता रहा है। जानकारी के मुताबिक सरखास रेलवे स्टेशन से भारत के लिए भेजे गए माल की खेप को करीब 1600 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग का उपयोग करते हुए दक्षिण ईरान में बंदर अब्बास नाम के पोर्ट ले जाया जाएगा। जहां से इसे समुद्री मार्ग से भारत भेजा जाएगा।
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