जापान अपने खराब हो चुके फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट (Japan Radioactive Water Release) में मौजूद ट्रीटेड रेडियोएक्टिव पानी को 24 अगस्त को पैसिफिक ओशन में छोड़ेगा। जापान टाइम्स के मुताबिक, मंगलवार को मंत्रियों के साथ बैठक करने के बाद PM फुमियो किशिदा ने इसकी घोषणा की। किशिदा ने कहा- अगर मौसम सही रहा तो हम ये काम शुरू कर देंगे।
जापान सरकार के मुताबिक, प्लांट से पूरा पानी छोड़े जाने में करीब 30 साल का समय लगेगा। प्लांट में मौजूद 133 करोड़ लीटर पानी को करीब 1 हजार ब्लू टैंकरों में स्टोर किया गया है। न्यूक्लियर प्लांट को मेंटेन करने वाली कंपनी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर (TEPCO) ने बताया कि पानी की क्वांटिटी का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि ये 500 ओलंपिक साइज्ड स्विमिंग पूल को भरने के लिए काफी है। इस पानी को वहां से हटाए जाना इसलिए भी जरूरी है ताकि न्यूक्लियर प्लांट को नष्ट किया जा सके।
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कैंसर जैसी बीमारियों का बढ़ सकता है खतरा
जापान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक पानी को महासागर में छोड़ने से पहले साफ कर दिया गया है। हालांकि, कई रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें अभी भी ट्रीटियम के कण हैं। ट्राइटियम एक रेडियोएक्टिव मैटीरियल है, जिसे पानी से अलग करना काफी मुश्किल होता है।
ऐसे तो इससे कॉन्टैक्ट में आने पर ज्यादा नुकसान नहीं होता है, लेकिन अगर ये किसी के शरीर में काफी बड़ी मात्रा में चला जाए तो इससे कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जापान में न्यूक्लियर प्लांट का पानी और वेस्ट मैटिरियल काफी सालों से परेशानी बना हुआ है।
पानी को पैसिफिक महासागर में छोड़े जाने का साउथ कोरिया, चीन और ऑस्ट्रेलिया विरोध जता चुके हैं। वहीं जापान लगातार इस बात का आश्वासन देता रहा है कि वो इंटरनेशनल मानकों के आधार पर ट्रीटियम की मात्रा को कम करने के बाद ही पानी को डिस्चार्ज करेगा।
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प्लांट से पूरा पानी निकालने में लगेंगे 30 साल
फुकुशिमा और जापान के फिशरी एसोसिएट्स को डर है कि एक बार प्लांट से पानी छोड़ने का काम शुरू हो गया, तो इंटरनेशनल मार्केट में कस्टमर उनकी मछली लेने से इनकार कर देंगे। जापान सरकार के मुताबिक, प्लांट से पूरा पानी छोड़े जाने में करीब 30 साल का समय लगेगा। प्लांट में मौजूद 133 करोड़ लीटर पानी को करीब 1 हजार ब्लू टैंकरों में स्टोर किया गया है। बता दें, जुलाई में UN के न्यूक्लियर वॉचडॉग ने पानी छोड़े जाने के लिए अप्रूवल दिया था।
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