वहीं इमिग्रेशन अटॉर्नी ने दावा किया है कि गिरफ्तार किए गए युवाओं को यूनिवर्सिटी के फेक होने की जानकारी ही नहीं थी। इस बात की आलोचना की गई है कि छात्रों को पकड़ने के लिए इस तरह की योजना बनाई गई। बता दें कि फेडरल प्रॉसिक्यूटर के मुताबिक, आव्रजन घोटाले का पता लगाने के लिए अमेरिकी गृह विभाग ने डेट्रॉइट के फारमिंगटन हिल्स में एक फेक यूनिवर्सिटी स्थापित की। अफसरों ने इसे पे टू स्टे स्कीम करार दिया। विदेशी छात्रों ने फेक यूनिवर्सिटी में इसलिए एडमिशन कराया ताकि वे गलत तरीके से स्टूडेंट वीजा का दर्जा हासिल कर सकें।
प्रॉसिक्यूटर्स का कहना है कि छात्रों को पता था कि ये फर्जी विश्वविद्यालय है फिर भी वो अपने स्टूडेंट वीजा के तहत अमेरिका में बने रहने के लिए यहां एडमिशन ले रहे थे। इस मामले को इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने पे एंड स्टे यूनिवर्सिटी वीजा स्कैम का नाम दिया है। न्यू जर्सी, मिशिगन, लुईसियाना, ह्यूस्टन, सेंट लुई, अटलांटा और कैलिफोर्निया में ये कार्रवाई की गई है।
साथ ही ये यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को पढ़ने के साथ-साथ काम करने का ऑफर भी दे रही थी, तो उन्हें लगा होगा कि ये ऑथराइज्ड यूनिवर्सिटी है जो करिकुलर प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के नाम से जाने जाने वाले एफ-1 टाइप वीजा के तहत वर्क प्रोग्राम चला रही होगी।
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भारतीय दूतावास ने जारी की हॉटलाइन सेवा
इधर भारतीय दूतावास की ओर से इन छात्रों के मदद की कोशिश की जा रही है। अमेरिका में भारतीय दूतावास ने 129 भारतीय छात्रों की मदद के लिए चौबीसों घंटे चलने वाली हॉटलाइन शुरू की है। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि भारतीय दूतावास के दो वरिष्ठ अधिकारी दो नंबरों 202-322-1190 और 202-340-2590 पर चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेंगे। इसके अलावा गिरफ्तार छात्र, उनके दोस्त और परिवार के सदस्य दूतावास से ‘[email protected]’ पर संपर्क कर सकते हैं।
For queries and assistance related to the detention of Indian students in the US, please contact our special 24/7 helpline. pic.twitter.com/iorYgZ5cxX
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) February 2, 2019
भारतीय दूतावास ने ‘पे एंड स्टे’ गिरोह का भंडाफोड़ होने से प्रभावित हुए भारतीय छात्रों की मदद से संबंधित सभी मुद्दों से निपटने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। इस घटना से कम से कम 600 छात्र मुसीबत में फंस गए हैं।
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ट्रेकिंग डिवाइस लगाई-
मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि पुलिस ने मामले का पता लगाने के लिए हिरासत के दौरान भारतीय छात्रों को एड़ी में एक ट्रेकिंग डिवाइस लगाई थी और उन्हें एक तय सीमा से बाहर न जाने के लिए कहा था। पुलिस ने छात्रों को बैटरी भी दी थी ताकि डिवाइस के डिस्चार्ज होने पर उसे चार्ज किया जा सके।
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