लेबनान और सीरिया (lebanon pager blast) के कुछ इलाकों में अचानक सीरियल पेजर (कम्युनिकेशन डिवाइस) में ब्लास्ट (pager explosion) हुए। घरों, सड़कों और बाजारों में लोगों की जेब और हाथ में रखे पेजर सिलसिलेवार रुप से 1 घंटे तक ब्लास्ट होते रहे। इसमें अबतक 11 लोगों की मौत और 3 हजार से ज्यादा लोग गंभीर रुप से घायल हुए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक- ये हिजबुल्लाह को निशाना बनाते हुए किए गए सीरियल पेजर ब्लास्ट थे, लेकिन इसमें आम लोग भी हताहत हुए। ईरानी राजदूत भी इसमें घायल हो गए। हिजबुल्लाह ने इजराइल पर धमाके कराने का आरोप लगाया है। लेकिन इजराइल ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
वहीं दूसरी ओर अब दावा किया जा रहा है कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस ब्लास्ट की स्क्रिप्ट करीब पांच महीने पहले ही लिख दी थी। उसने 5 महीने पहले ही पेजर में विस्फोटक फिट कर दिया था। इस जानकारी के बाद अब ताइवान की कंपनी भी सवालों के घेरे में है।
क्यों माना जा रहा है ब्लास्ट के पीछे इजराइल का हाथ
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने हिजबुल्लाह के खिलाफ मोसाद के खुफिया ऑपरेशन के तहत इन पेजर में विस्फोटक फिट कराए थे। रिपोर्ट में बताया गया है कि हिजबुल्लाह ने कुछ समय पहले ताइवान की गोल्ड अपोलो नाम की एक कंपनी को करीब तीन हजार पेजर का ऑर्डर दिया था।
कंपनी ने इन पेजर को इस साल अप्रैल से मई के बीच ताइवान से लेबनान भेजा था, लेकिन दावा किया जा रहा है कि इनके लेबनान पहुंचने से पहले ही इनसे छेड़छाड़ की गई और इनमें विस्फोटक फिट किया गया। क्योंकि इन पेजर के डिलिवर होने का समय अप्रैल से मई के बीच का है और इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनाव के बीच इस दौरान तनाव शुरू हो चुका था, ऐसे में शक इजरायल पर ही जा रहा है।
बलास्ट पर अमेरिकी मीडिया ने बताया
अमेरिकी मीडिया हाउस CNN के मुताबिक ऐसा हो सकता है कि पेजर्स को हैक कर उनमें लगी लिथियम बैटरीज को ओवरहीट कर डिटोनेट कर दिया गया हो। हालांकि, ये संभावना न के बराबर है। अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एनालिस्ट डेविड केनेडी के मुताबिक जिस तरह के धमाके हुए हैं वो डिवाइस हैक कर बैटरी को ओवरहीट कर देने की वजह से नहीं हो सकते। दूसरी ओर ये भी मानना है कि पेजर की डिलीवरी के दौरान छेड़छाड़ की गई हो।
इससे पहले भी कई वॉर में इस्तेमाल हुआ इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर
अमेरिका की हथियार बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर वो होता है जब जंग में इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल का इस्तेमाल होता है हमला या बचाव किया जाता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सेंकेंड वर्ल्ड वॉर के समय से ही दुश्मनों के खात्मे के लिए इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर का तरीका अपनाया जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी के जरिए दुश्मन देशों के ड्रोन, जैमर या फाइटर जेट को धोखा देकर उलझाया जा सकता है। रूस-यूक्रेन जंग में भी इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर का खूब इस्तेमाल हुआ है। 2022 के अंत में यूक्रेन ने रूस के 400 सैनिकों को मारने का दावा किया जो एक ही जगह पर छिपे थे।
क्या होता है पेजर
पेजर एक वायरलेस डिवाइस होता है, जिसे बीपर के नाम से भी जानते हैं। 1950 में पहली बार पेजर का इस्तेमाल न्यूयॉर्क सिटी में हुआ। तब 40 किलोमीटर की रेंज में इसके जरिए मैसेज भेजना संभव था। 1980 के दशक में इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा।
2000 के बाद वॉकीटॉकी और मोबाइल फोन ने इसकी जगह ले ली। पेजर की स्क्रीन आमतौर पर छोटी होती है, जिसमें लिमिटेड कीपैड होते हैं। इसका इस्तेमाल दो तरह से मैसेज भेजने के लिए होता है- 1. वॉयस मैसेज 2. अल्फान्यूमेरिक मैसेज। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि लेबनान में जो पेजर्स विस्फोट हुए हैं वो अल्फान्यूमेरिक हैं।
पेजर में न GPS होता है और न ही इसका IP एड्रेस होता है, जिससे इसे मोबाइल फोन की तरह ट्रेस किया जाए। पेजर का नंबर बदला जा सकता है, इसकी वजह से पेजर का पता लगाना आसान नहीं होता। पेजर की खासियत है कि एक बार चार्ज होने पर ये एक सप्ताह से ज्यादा समय तक यूज किया जा सकता है, जबकि मोबाइल को एक या दो दिन में चार्ज करना होता है। यही वजह है कि इसे रिमोट लोकेशन यानी दूर-दराज इलाके में इस्तेमाल किया जाता है।
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