ये शब्द ऐसे लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जो गे, लेस्बियन, बाइसेक्शुअल या ट्रांसजेंडर के रुप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से अपनी पहचान रखते हैं।
जैसे-जैसे दुनिया ने इनके बारे में जाना, समझा, वैसे-वैसे इनके लिए नए नए शब्दों का विकास होता गया। हालांकि, ऐसे लोगों के लिए हिंदी में एकदम सटीक शब्द निकाल पाना मुमकिन नहीं है।
LGBTQIA+ के हर अक्षर का मतलब क्या है..जानें..
L (लेस्बियन): यह शब्द उन महिलाओं के लिए उपयोग किया जाता है जो महिलाओं की ओर ही आकर्षित होती हैं। उनसे प्यार करती हैं और यौन संबंध बनाना चाहती हैं। वहीं आपको बता दें इसमें ऐसा भी हो सकता है कि एक महिला का बर्ताव और लुक एक पुरुष जैसा ही हो और संबंध महिला से ही हो।
G (गै): ये शब्द उनके लिए इस्तेमाल किया जाता है जो पुरुष होकर पुरुष की ओर आर्कषित हो। यानि कोई पुरुष समान लिंग यानि किसी पुरुष पर ही मोहित होता है तो उसे गै (Gay) कहते हैं।
B (बाईसेक्शुअल): इसमें कोई व्यक्ति, अपने समान लिंग के मनुष्यों के अलावा अन्य सभी तरह के लिंग के मनुष्यों की ओर भी आकर्षित होता अथवा होती है तो उसे बायसेक्सुअल कहा जाता है।
T (ट्रांसजेंडर): ये थर्ड जेंडर में आते हैं। वे सभी मनुष्य जिनके जन्म के समय पहचाना गया लिंग बड़े होने पर उन्हें उचित नहीं लगता और वे किसी अन्य लिंग के मनुष्य की तरह जीने लगते हैं। एक उदाहरण से समझते हैं। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनके जननांग (प्राइवेट पार्ट) पैदा होते समय पुरुष की तरह होते हैं और जिसे लड़का माना जाता है लेकिन बाद में उसके जीवन-जीने का तरीका लड़कियों जैसा रहता है।
Q (क्वीयर): क्वीयर वो लोग हैं जो ये तय नहीं कर पाते हैं कि शारीरिक चाहत आखिर क्या है? यानी जो न खुद को पुरुष, न महिला और न ही ट्रांसजेंडर मानते हैं। वे न तो पूरी तरह लेस्बियन होते है और न ही गे और बाईसेक्सुअल। इनकी यौन पसंद समय समय पर बदलती रहती है। ऐसे लोगों को क्वीयर कहते हैं। इसीलिए क्वीयर के ‘Q’ को ‘क्वेश्चनिंग’ भी कहा जाता है।
I (इंटरसेक्स): यह वे लोग होते हैं जिनके पैदा होने के बाद उनके जननांग (प्राइवेट पार्ट) देखकर ये साफ नहीं हो पाता कि वह लड़का है या लड़की। वह इंटरसेक्सुअल कहलाते हैं।
A (एसेक्शुअल): जिस किसी मनुष्य को किसी भी लिंग के मनुष्य के साथ सेक्स में रूचि नहीं होती, तो उन्हें एसेक्शुअल कहा जाता है।
+ (प्लस): इनमें वे सभी मनुष्य शामिल किए जाते हैं जो LGBTQIA के विभिन्न कैटेगरीज में अपने आपको फिट नहीं मानते। उन्हें लगता है कि उनकी सोच और पसंद को किसी तय केटेगरी में नहीं डाला जा सकता।