5 राज्यों में विधानसभा चुनावों का ऐलान, जानें सबसे अधिक चर्चा में क्यों है बंगाल- असम

2016 में जब BJP ने असम में अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया, तब NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप सबसे बड़ा मुद्दा था। BJP ने जोरदार तरीके से इसको लागू करने का मुद्दा उठाया जिसका नतीजा यह रहा कि असम की जनता ने भाजपा को सत्ता में ला दिया

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नई दिल्ली: पांच राज्यों में चुनावों की तारीखों का ऐलान शुक्रवार को हो गया। ये राज्य पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 8 फेज में चुनाव होंगे। असम में 3 फेज में और बाकी तीनों राज्यों में सिंगल फेज में चुनाव होंगे। वोटिंग की शुरुआत पश्चिम बंगाल और असम से होगी। इन दोनों राज्यों में पहले फेज की वोटिंग 27 मार्च को होगी। पांचों राज्यों में वोटों की गिनती 2 मई को होगी।

चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों, विकलांग लोगों, जरूरी सेवाओं में लगे जिन लोगों की स्थानीय चुनाव अधिकारी पहचान करेंगे, वे पोस्ट बैलट से मतदान कर सकेंगे। सभी चुनाव अधिकारियों का कोरोना वैक्सीनेशन होगा। वोट डालने का समय 1 घंटा ज्यादा होगा। अरोड़ा के मुताबिक 5 राज्यों में 824 विधानसभा सीटें हैं। इनके लिए इस बार 18.68 करोड़ वोटर हैं और 2.7 लाख मतदान केंद्र होंगे।

सबसे अधिक चर्चा में बंगाल-
सबसे पहले बात करते हैं बंगाल की, जिसकी इस बार सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, क्योंकि यहां तृणमूल का सीधा मुकाबला भाजपा से है। बंगाल में पहले फेज की अधिसूचना 2 मार्च को जारी होगी। प्रदेश में अभी तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। 2016 के चुनाव में TMC को 211 सीटें मिली थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 42 में से 18 सीटें जीती थीं। इसलिए विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूरा जोर लगा दिया है। इस बार का चुनाव TMC बनाम BJP हो गया है। यहां कांग्रेस, वामदलों और इंडियन सेकुलर फ्रंट के बीच गठबंधन तय है। फुरफुरा शरीफ की इंडियन सेकुलर फ्रंट को 30 सीटें दी गई हैं।

असम- NRC के बाद पहली बार चुनाव होंगे
2016 में जब BJP ने असम में अपना चुनाव प्रचार अभियान शुरू किया, तब NRC यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप सबसे बड़ा मुद्दा था। BJP ने जोरदार तरीके से इसको लागू करने का मुद्दा उठाया जिसका नतीजा यह रहा कि असम की जनता ने भाजपा को सत्ता में ला दिया, लेकिन भाजपा के लिए सबसे बड़ी समस्या इसे लागू करने के बाद आई। NRC को लागू करने का मकसद घुसपैठियों की पहचान करना था, लेकिन फाइनल लिस्ट में 19 लाख लोगों के नाम नहीं थे।

इनमें से ज्यादातर वे लोग थे जिनका दावा था कि वे असम के मूल निवासी हैं। राजनीतिक तौर पर BJP के लिए यह एक बड़ा झटका था, क्योंकि यही लोग असम में भाजपा के कोर वोट बैंक थे। इस चुनाव में BJP को अपने पुराने वादे पर सही तरीके से अमल न कर पाने का खामियाजा भुगतने का डर सता रहा है।

तमिलनाडु-कौन होगा नया चेहरा-
5 दिसंबर 2016 को जयललिता की मौत के दो साल बाद 2018 में करुणानिधि का भी 94 साल की उम्र में निधन हो गया। करुणानिधि और जयललिता 40 साल तक तमिलनाडु की राजनीति के दो ध्रुव रहे। इस दौरान जयललिता 6 बार और करुणानिधि 5 बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री रहे। अब देखना होगा किसका दबदबा बना रहता है।