पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमंत्री एंटोनियो गुटेरेश जल्दी ही संयुक्त राष्ट्र के अगले महासचिव होंगे। वो अगले साल बान की मून की जगह लेंगे। किसी महिला के संयुक्त राष्ट्र महासचिव बनने की चर्चा के बीच गुटेरेश का नाम निर्विवाद रहा। मतदान में 10 उम्मीदवार शामिल रहे।
जानिए कौन है गुटेरेश-
पेशे से कारोबारी एंटोनियो गुटेरेश ने 1976 में राजनीति में पहला क़दम रखा था। पुर्तगाल के लिए 1976 का साल ख़ास था। क्योंकि देश में पांच दशकों की तानाशाही के बाद पहली बार लोकतांत्रिक चुनाव हो रहे थे। इसी साल ‘कार्नेशन रेवोल्यूशन’ यानी तानाशाही व्यवस्था को उखाड़ फ़ेंकने वाला आंदोलन हुआ और तानाशाही शासन का ख़ात्मा हुआ।
राजनीति में उनका क़द बढ़ता गया. एंटोनियो गुटेरेश 1992 में सोशलिस्ट पार्टी के नेता बन कर उभरे. और फिर 1995 में देश के प्रधानमंत्री बने। गुटेरेश संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर के लिए 2005 से 2015 तक प्रमुख रहे। सीरिया, अफ़गानिस्तान और इराक़ सहित दुनिया के कई शरणार्थी संकट में उनकी भूमिका अहम रही है। बताया जाता है कि इस मुश्किल दौर में उन्होंने संस्था के प्रमुख के रूप में शरणार्थी संकट से जूझ रहे लोगों की मदद करने के लिए पश्चिम देशों से लगातार अपील की।
समाचार एजेंसी एएफ़पी के अनुसार पुर्तगाल के पूर्व राष्ट्रपति अनीबल सिल्वा का कहना है, “गुटेरेश शरणार्थी संस्था में अपने पीछे एक ख़ास विरासत छोड़ गए हैं। वे आदरणीय व्यक्ति हैं पूरी दुनिया। उनकी बात सुनती और मानती है।”
ये थे दौड़ में शामिल-
संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए अपनी क़िस्मत आज़माने वालों में कई ख़ास उम्मीदवार शामिल रहे। इस बार महासचिव पद के 13 उम्मीदवारों में से 7 महिलाएं थीं। महिलाओं में बुलगारिया की राजनेता और संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को की महानिदेशक 63 साल की इरीना बोकोवा, न्यूज़ीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ के विकास कार्यक्रम की मौजूदा प्रमुख 66 साल की हेलेन क्लार्क के नाम महत्वपूर्ण रहें। मतदान में इरीना बोकोवा चौथे स्थान पर रहीं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा के पूर्व अध्यक्ष सर्बिया के वुक जेरेमिक दूसरे नंबर और स्लोवाकिया के मीरोस्लाव लाजकैक तीसरे नंबर पर रहें।