गंगा नदी को लेकर कई बार खबरें आयी हैं और सरकार द्वारा करोड़ों रूपयों का नमामि गंगे प्रोजेक्ट भी चलाया जा रहा है। इसके बावजूद गंगा नदी दिनों दिन प्रदूषित होती जा रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली की हाल की रिपोर्ट में काफी चौंकाने वाले खुलासे हुए जिससे जानने के बाद शायद आप दंग रह जाए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा के उद्गम स्थल के नजदीक गंगोत्री में ऐसे खतरनाक बैक्टीरिया मिले हैं जो किसी भी सामान्य एंटीबायोटिक से ज्यादा ताकतवर हैं। यानी इनपर सामान्य एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं होगा। IIT की रिपोर्ट के अनुसार गंगोत्री से जो गंगा का नमूना लिया गया है उसमें ऐसे बैक्टीरिया मिले हैं जो सामान्य तौर पर अस्पताल में भर्ती मरीजों में मिलते हैं।
IIT दिल्ली के प्रोफेसर शेख जियाउद्दीन अहमद के मुताबिक बैक्टीरिया की संख्या ऐसी जगहों पर ज्यादा है जहां नदी की चौड़ाई कम है। प्रोफेसर ने आगे बताया, गंगा के उद्गम स्थल से सिर्फ 150 किलोमीटर बाद ही एंटीबायोटिक रोधी बैक्टीरिया मिलने लगते हैं। इनपर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता है।
गर्मियों में बढ़ जाता है प्रदूषण का स्तर
IIT की रिपोर्ट के अनुसार गर्मियों में गंगोत्री में लोगों की संख्या बढ़ जाती है. सर्दियों में यहां पर करीब 1 लाख लोग आते हैं, वहीं गर्मियों में यह पांच गुना ज्यादा हो जाती है। इसलिए तीर्थयात्रा के दौरान यहां प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है।
ज्यादा पर्यटकों आना गंगा के लिए खतरा-
गर्मियों में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का मल बहकर गंगा में जाता है। साथ ही नदी में नहाते समय इंसानी शरीर से भी बैक्टीरिया निकलकर गंगा के पानी में मिल जाता है। फिर यह दूसरे इंसान के शरीर में पहुंचता है। यानी ज्यादा संख्या में पर्यटकों का आना या स्नान करना अब गंगा और इंसान दोनों के लिए खतरनाक बन चुका है।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ 78 हजार लोगों के लिए सक्षम
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री में लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता सिर्फ 78 हजार लोगों को लिए है लेकिन पर्यटकों की ज्यादा संख्या होने पर इसकी क्षमता पर असर पड़ता है।