नई दिल्ली: शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घरेलू आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत लोगों द्वारा घोषित कालेधन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस साल चार महीनों में 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ की बेहिसाब संपत्ति की जानकारी दी है। उन्होंने कहा, ‘टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। टैक्स चोरी करने वालों से आयकर विभाग को 16 हजार करोड़ रुपये मिले हैं।’
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने प्रधान आयकर आयुक्तों को 30 सितंबर को मध्यरात्रि तक काउंटर खोलने के निर्देश दिए थे ताकि घरेलू आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत लोगों को अपने बेहिसाबी धन की घोषणा करने में सुविधा हो। घोषणा के आखिरी दिन कैबिनेट सचिवालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित सीबीडीटी के ऑफिस में देर रात तक काम चलता रहा।
समय सीमा समाप्त होने के दो घंटे पहले ही कर्मचारी घोषित कालेधन के आंकलन में जुट गए थे। सीबीडीटी चीफ रानी सिंह नायर और राजस्व सचिव हसमुख अधिया के निर्देशन में चार महीने में घोषित किए गए कालेधन के मूल्यांकन के लिए दिल्ली और मुंबई के वरिष्ठ इनकम टैक्स अधिकारी आधी रात के बाद तक काम करते रहे।
इस योजना को लेकर आशंका थी कि क्या इस बार 1997 में एचडी देवेगौड़ा के कार्यकाल में वित्तमंत्री पी चिदंबरम द्वारा चलाए गए घरेलू आय घोषणा योजना के तहत घोषित हुए 33 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा पार हो सकेगा। उस दौरान चार लाख से अधिक लोगों ने अपनी बेहिसाब संपत्ति का ब्योरा दिया था। इसकी तुलना में पिछले साल विदेशों में जमा कालेधन के रूप में केवल 4164 करोड़ रुपये की घोषणा हुई थी, जिससे टैक्स के रूप में केवल 2428 करोड़ रुपयों की प्राप्ति हुई थी।