भक्ति करनी है तो प्रभु के साथ करो-साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा

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संवाददाता भीलवाड़ा। दुनिया हमें कभी भी धोखा दे सकती है , लेकिन प्रभु हमे कभी धोखा नही देते है। भक्ति करनी ही है तो प्रभु के साथ करो, भक्ति में इतने लीन हो जाओ कि प्रभु आपके सामने प्रकट हो जावे। शुद्ध भाव से की हुई भक्ति कभी व्यर्थ नही जाती है। आज के युग में भक्त तो है, पर लोगो की भक्ति शुद्ध नही है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा ने धर्मसभा में व्यक्त किये साध्वी ने कहा कि अगर आपका मन शांत और संतुलित है तो झोपड़ी में भी स्वर्ग है और मन अशांत और असंतुलित है तो महल भी नरक है। सरलता में ही धर्म रहता है, सरलता स्वयं स्वर्ग की सीढ़ी है। सरलता में सादगी रहती है। सरलता स्वयं अपने आप मे पुण्य है। साध्वी डॉ चंद्रप्रभा ने कहा कि आचार्य जयमलजी महाराज का आज 314 वा जन्मोत्सव है, हमारे यहाँ पर 20 सितम्बर सोमवार को समारोह मनायेंगे। आचार्य डॉ शिवमुनि का भी आज 80 वा जन्मदिवस है जो हम कल नवकार महामन्त्र के सामूहिक जाप के पश्चात तप त्याग के साथ मनाएंगे। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि तपस्या से कर्मो की निर्जरा होती हैं। क्रोध, मान, माया, लोभ,राग, द्वेष यह कषाय लगे हुए है जिन्हें हमे समाप्त करने है। तपस्या के क्रम में मोनिका महेश कूकड़ा द्वारा 9 उपवास की तपस्या करने, तुषार कमलेश बाफना द्वारा 8 उपवास के प्रत्याख्यान लेने पर संघ द्वारा दोनो ही तपस्वियों का सम्मान किया गया। तपाचार्य साध्वी जयमाला के गुप्त तपस्या अनवरत जारी है। धर्म सभा को तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष लक्की बाफना ने भी संबोधित किया। बाहर से आये श्री संघो का महावीर युवा मंडल अध्यक्ष कमलेश कूकड़ा ने स्वागत किया।

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