वॉशिंगटन: भारतीय मूल की इंदिरा नूयी को अमेरिका के नए राष्ट्पति डोनाल्ड ट्रंप की एडवाइजरी काउंसिल में शामिल किया गया है। ट्रंप की ट्रांजिशन टीम ने बुधवार को यह जानकारी दी। बता दें कि नूयी ने ट्रंप की जीत के बाद सिक्युरिटी को लेकर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था, ‘मेरी बेटियां, गे वर्कर, कंपनी के इम्प्लॉइज और अश्वेत लोगों में अपनी सिक्युरिटी को लेकर डर बैठ गया है। ये लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या हम अमेरिका में सेफ हैं?’
कई टॉप बिजनेस लीडर्स भी शामिल
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्पेसएक्स और टेस्ला के चेयरमैन एलॉन मस्क और उबेर के सीईओ और को-फाउंडर ट्रविस कालनिक को भी ट्रम्प की काउंसिल में शामिल किया गया है।
- एडवाइजरी काउंसिल में कई अन्य टॉप बिजनेस लीडर्स भी शामिल हैं।
- काउंसिल का मकसद ट्रंप को प्राइवेट सेक्टर पर इंडस्ट्री का इनपुट देना है। यह ट्रेड और इकोनॉमी से जुड़ेे मसलों पर भी प्रेसिडेंट को सलाह देगी।
- इस काउंसिल को ट्रम्प का स्ट्रैटजिक एंड पॉलिसी फोरम भी कहा जा रहा है, जो इकोनॉमिक एजेंडे को पूरा करने में उन्हें मदद देगा।
भारतीयों में डर-
- दरअसल, अमेरिका में कई कम्युनिटीज का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप उनके सिविल और ह्यूमन राइट्स खत्म कर देंगे।
- डोनाल्ड ट्रंप के आक्रामक इलेक्शन कैम्पेन से लोगों में डर का माहौल बना।
- डोनाल्ड ट्रंप ने कैम्पेन के दौरान मुस्लिमों के खिलाफ कड़ा बयान दिया था। देश में मुसलमानों के आने पर रोक की मांग की थी। इससे भी भय पैदा हुआ।
- ऐसी भी खबरें आईं कि डोनाल्ड ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन 30 लाख अप्रवासी लोगों को अमेरिका से बाहर जाने के लिए कह सकता है।
इलेक्शन के बाद और क्या कहा था नूयी ने?
- 15 नवंबर को न्यूयॉर्क टाइम्स की डील बुक कॉन्फ्रेंस में नूयी ने कहा था, ” 9 नवंबर के बाद मैं लगातार कई सवालों का जवाब दे रही हूं।”
- “ये सवाल मेरी बेटियां और मेरे इम्प्लॉइज की तरफ से पूछे गए। वे दुखी हैं। हमारे इम्प्लॉइज रो रहे थे, खासकर वो जो अश्वेत हैं।”
- “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे इस तरह के सवालों के जवाब देने होंगे। लोग तनाव में हैं। लोगों को यह भरोसा दिलाना होगा कि वे इस देश में सुरक्षित हैं।”
- “हमें लोगों को यह बताना होगा कि इस इलेक्शन से देश में कुछ नहीं बदला है। जैसा माहौल पहले था, वैसा ही आज है। हमने इलेक्शन डिबेट में जो सुना, वह सिर्फ इलेक्शन तक था। हम सब एक हैं।”
- “हमें ट्रम्प को बधाई देनी चाहिए। क्लिंटन के सपोर्टर दुखी हो सकते हैं, लेकिन जिंदगी तो चलती रहती है। यह सब डेमोक्रेसी का एक पार्ट है।”