रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च से अप्रैल के बीच के चार सप्ताह में देश में साइबर अटैक्स की घटनाओं में 86 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। कोरोनाकाल के माहौल का फायदा उठाकर साइबर क्रिमिनल्स पूरी दुनिया में हजारों लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
वे फेक कोविड-19 ट्रैकर डैशबोर्ड से कम्प्यूटर्स को हैक कर रहे हैं, फेक वेबसाइट्स और एप्स ला रहे हैं, खुद को डब्ल्यूएचओ का ऑफिशियल बताकर फिशिंग अटैक कर रहे हैं, फ्री मोबाइल डेटा देने का झूठा वादा कर रहे हैं और रैनसम मेल भेज रहे हैं। इसी के मद्देनजर गूगल के सेफ्टी सेंटर ने यूजर्स को ऑनलाइन सेफ रहने के लिए कुछ टिप्स दिए हैं।
विश्वसनीय सोर्स से चेक करें:
स्कैमर्स आमतौर पर विश्वनीय और आधिकारिक सोर्सेज की तरह दिखाई देने की कोशिश करते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए यूजर्स को सीधे सोर्स जैसे कि मिनिस्ट्री ऑफ हैल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की वेबसाइट पर विजिट करके ही कोविड-19 की सूचना प्राप्त करनी चाहिए और फ्रॉड से बचना चाहिए।
इंफॉर्मेशन शेयर करने से पहले सावधानी बरतें:
अगर बिना कारण आपसे निजी इंफॉर्मेशन मांगी जाती है तो सावधान हो जाएं। कुछ समय निकालकर मैसेज को परखें। यह जानें कि स्कैमर्स आपसे लाॅगिन इंफॉर्मेशन, बैंक संबंधी जानकारी शेयर करने के लिए कहते हैं जो किसी विश्वसनीय हेल्पलाइन कॉल में नहीं मांगी जाती है।
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डोनेशन में भी सावधानी जरूरी:
फ्रॉडस्टर्स दया-भाव का फायदा उठाकर आपसे कोविड-19 रिलीफ फंड के नाम पर डोनेशन देने का निवेदन कर सकते हैं। इसके लिए वे कई बार एनजीओ का झूठा रूप धारण करके आपसे पैसे ट्रांसफर करने के लिए कह सकते हैं। अगर आपको डोनेशन देना हो तो किसी लिंक के माध्यम से न देकर उस एनजीओ की वेबसाइट पर जाकर डोनेट करें।
क्लिक करने से पहले लिंक्स और ईमेल एड्रेस चेक करें:
फेक लिंक्स ओरिजिनल लिंक्स से बहुत मिलते-जुलते होते हैं। अगर मैसेज या मेल में आपको ‘क्लिक हियर’ का ऑप्शन मिले तो उसपर क्लिक करने से पहले उसपर हॉवर ओवर करके यूआरएल में गलतियां देखें। गलत स्पेलिंग या रैंडम लेटर्स और नंबर्स उसके स्कैम होने का संकेत देते हैं।
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वेब पर रिपोर्ट के लिए सर्च करें:
अगर आपको कोई फ्रॉड मैसेज या ईमेल मिला है तो आप इस मैसेज के टेक्स्ट को या सबसे संदिग्ध हिस्से को कॉपी करके सर्च इंजन में पेस्ट करें और देखें कि क्या इसे दूसरे लोगों ने भी रिपोर्ट किया है।