Friday, November 22, 2024
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Tag: हिंदी कविता

माँ के नाम एक पत्र

नन्ही सी आँखे और मुडी हुई उंगलियां थी मेरी, ये बात उस समय की है जब मैं इस पूरे जहां से अनजानी थी। पहली धड़कन जो...

सेना के सम्मान में

सेना के सम्मान में इक युग गाथा का सार लिखूँ क्या अनंत का विस्तार लिखूँ ? छाती का बलिदान लिखूँ या आखों की जल-धार लिखूँ ? शहीद का आभार...

बेटी का अपनी माँ से निवेदन !

माँ, मैं बड़ी हो गई हूँ, क्योंकि, वो घूरते हैं मुझे.. माँ, मुझे डर लगता है, क्योंकि, वो छेड़ते हैं मुझे.. माँ, मुझे फ़िर से अपनी गुड़िया बना...

कूड़े दान मेरी माँ और अनाथालय मेरा घर !

कूड़ेदान ही मेरी माँ है... मेरे साथ के बच्चे कहते है कि मैं कूड़ेदान में मिली थी इसलिए कूड़े दान मेरी माँ और अनाथालय मेरा...

फिर क्यों उम्मीद करते हो उससे संस्कारो की !

​कहाँ मांग की थी तुम ने  संस्कारो की तुम तो दहेज के भिखारी थे तुम्हें तो चाह थीं सारे ऐश-आरामों की  धन  मे तौला था तुम ने...

लड़की हूँ मैं : फिर क्यों दुनिया में मेरी इज़्ज़त नहीं...

बहन हूँ मैं, बेटी हूँ देश की पहचान हूँ मैं माँ हूँ मैं पत्नी हूँ परिवार का सम्मान हूँ मैं शांति का प्रतीक हूँ प्रतिशोध का प्रतीक हूँ फिर...

बाल-मजदूरी : कुछ सवाल मजबूर बचपन के !

मैं भी एक बचपन हूं ठीक तुम्हारे बच्चों की ही तरह, मैं भी एक नटखटपन हूं मेरे भी नन्हे हाथ है, नाज़ुक कमजोर कंधे है, पर उन कंधो पर...

सियासत

सियासत में ये इस कदर डूब जाते हैं, वीरो की शहादत   पर भी सवाल उठाते हैं, जो इनको सच का आइना दिखलाये, उनको ये देशद्रोही और...

बिन कहे सब समझ जाती है – माँ

खुद भूखा रहकर हमे खिलाती है वो, हर दुःख से हमे बचाती है वो, बिन कहे सब समझ जाती है, खुद से ज्यादा हमे चाहती है वो, ऊँगली...

बचपन – कलयुग के कंसों के आगे, कान्हा अब लाचार है...

मैं भूखे बच्चों के लिए रोटी की आस लिखता हूँ । प्यास से कांपते होठों की सांस लिखता हूँ ।। चाह नहीं मुझे मोहब्बत के गीत...

केसर सिंह बारहठ की 152 वी जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम

शाहपुरा शाहपुरा जिला मुख्यालय के त्रिमूर्ति स्मारक पर अमर शहीद केसर सिंह बारहठ की 152वी जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया जानकारी केअनुसार...
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