Tag: social issue
मेरी क्या ही औक़ात लिखूं
वो देश संभाले कांधो पर, संकट-मोचन के दूत लगे
शत्रु से साक्षात्कार करें ,मैं कागज पे संहार लिखूं?
सरहद पर सीना ताने, अंतिम सांस तलक भिड़ते
महफूज...
बेटी का अपनी माँ से निवेदन !
माँ, मैं बड़ी हो गई हूँ,
क्योंकि, वो घूरते हैं मुझे..
माँ, मुझे डर लगता है,
क्योंकि, वो छेड़ते हैं मुझे..
माँ, मुझे फ़िर से अपनी गुड़िया बना...
बचपन – कलयुग के कंसों के आगे, कान्हा अब लाचार है...
मैं भूखे बच्चों के लिए रोटी की आस लिखता हूँ ।
प्यास से कांपते होठों की सांस लिखता हूँ ।।
चाह नहीं मुझे मोहब्बत के गीत...