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लड़की हूँ मैं : फिर क्यों दुनिया में मेरी इज़्ज़त नहीं...
बहन हूँ मैं, बेटी हूँ
देश की पहचान हूँ मैं
माँ हूँ मैं पत्नी हूँ
परिवार का सम्मान हूँ मैं
शांति का प्रतीक हूँ प्रतिशोध का प्रतीक हूँ
फिर...
इस पिक्चर और हमारी मैगज़ीन को जरुरत है, आपके हिंदी कैप्शन...
हमेशा की तरह पञ्चदूत अपने पाठकों को सामाजिक मुद्दों पर लिखने के लिए प्रेरित करने के लिए इस बार भी एक सोशल मीडिया पर...
आवश्यकता मैगज़ीन के लिए : इस पिक्चर को आपके कैप्शन की
पञ्चदूत युवाओं को सामाजिक मुद्दों पर लिखने के लिए प्रेरित करने के लिए विभिन्न तरह से प्रयास करता रहता हैं । इस बार इस प्रयास...
अबोध कन्या की आवाज़ – फ़रियाद मेरी ना काम आयी
माँ अभी मैं छोटी हूँ
मत छीनों मेरा बचपन
कैसे मैं रह पाऊंगी
तड़प - तड़प मर जाएंगी
अभी खेल रहीं मैं गुड़ियों से
फिर क्यूँ मुझे बोझ समझती हो,
उठाने...
यही तो ज़िन्दगी है कि जो आप सीख रहे हो…..
अपना स्वेटर पहना और घुमतेे घुमते गाँव के रेलवे स्टेशन पर जा पहुँचा।। अक्सर यहाँ पर आया करता हूँ। दस-बारह लोग स्टेशन पर खड़े...
ये सोच कौन बदलेगा ? इस बात से परेशान हूँ मैं...
अधिकार तो हमको ( महिलाओं को )बहुत से मिल गये है
परन्तु
हम उसका कितना उपयोग कर पाए हैं?
आज भी हर महिला कहीं न कहीं घुट...
आडंबरों की दुनिया
समय सतत, निरंतर बदलता जा रहा है।
समय के साथ -साथ मनुष्य भी बदल गया ।
अति आधुनिक होने की होड़ में
हम अपने संस्कारों को ताक पे...