Tag: Panchdoot Thought
“वेश्यावृति”
रात के सन्नाटों में
कई बाजार खुलते हैं
शहरों की अँधेरी गलियों में
ज़िस्म हज़ारों बिकते हैं
पहले जबरदस्ती से शायद
फिर आदतों के तले
वो हर रात बिकती है
पेट...
मजहब
मजहब-मजहब से टकरा रहा है
इस मजहब की दीवार को गिरा देते हैं।
जब अपने होने का पता देते हैं
आंखों ही आंखों से कयामत गिरा देते...
धैर्य की अग्निपरीक्षा से गुजरते आधुनिक दौर के रिश्ते
प्रेम , विवाह और तलाक तीनों ही अपने आप में बहुत बड़े मुद्दे हैं जिन पर अलग अलग विचारधारा वाले व्यक्तियों की अलग अलग...
आस्था के नाम पर राजनीति या जनमानस की भावनाओं से खिलवाड़
भारतीय राजनीति में कई दशकों से होता चला आ रहा है कि विभिन्न राजनीतिक पार्टियों द्वारा चुनावी लाभ के लिए भोली-भाली जनता को अपना...
चुनाव: सोच मे संशोधन जरूरी
चुनाव का अर्थ है किसी चीज को चुनना। आज बदलते परिवेश में हम अपने चुनाव के लिए बहुत सी चीजों पर आधारित होते हैं?...
लोकतंत्र का विश्वास आस्था में तब्दील होता जा रहा है और...
हमारे यहां विश्व के सभी प्रमुख धर्म हैं, बीस राज भाषाएं तथा 780 बोलियां हैं। मतदाताओं की संख्या आकार की दृष्टि से, किसी भी महाद्वीप के...
हमारी संवेदनाओं को शून्य बनाती रैगिंग
रैगिंग, यह शब्द पढ़ने में सामान्य लगता है। इसके पीछे छिपी भयावहता को वे ही छात्र समझ सकते हैं जो इसके शिकार हुए हैं।...
आखिर सभ्य समाज जा कहां रहा है?
महिलाओं-बच्चियों के साथ होते अपराधों में इजाफा इस कदर हो रहा है जैसे बंपर नौकरियां निकली है और सब इसे पाना चाहते हैं। मेरी...
खून का रंग देख और बता कौन हिन्दू कौन मुसलमान!
मर रही है मानवता और मर रहा है इंसान
मासूमों से ही जब हिन्दू मुसलमान कराओगे
तो फिर इंसानियत को कैसे बचाओगे
1947 में जब बंटवारा हुआ...
जानिए क्यों है ‘आरक्षण पॉलिसी’ मानवता के खिलाफ अपराध
भारत अपने लोगों को श्रृंखला में बांधता है। आज की तारीख में आरक्षण एक एेसा मुद्दा है जो हरेक शिक्षित युवक और युवती की जुबान...