Tag: meri kalam se
लिखने को किस्से हज़ार…
लिखता रहता हूँ अनवरत,
लिखने को किस्से हज़ार...
कभी पतझड़, कभी बारिश,
तो कभी बगिया में फूलों की बहार...
कभी रूठना, कभी मनाना,
अपनों का निश्छल प्यार...
लिखने को किस्से...
बचपन – कलयुग के कंसों के आगे, कान्हा अब लाचार है...
मैं भूखे बच्चों के लिए रोटी की आस लिखता हूँ ।
प्यास से कांपते होठों की सांस लिखता हूँ ।।
चाह नहीं मुझे मोहब्बत के गीत...
रिश्तों का मोल – हमारा जीवन माँ, बहन, भाई या पिता...
इज़्ज़त का क्या मतलब हैं ये हर कोई समझता हैं। आज मैं ये टॉपिक लायी क्योंकि मैं इस बारे में बहुत कुछ सोचती हूँ। ...
अबोध कन्या की आवाज़ – फ़रियाद मेरी ना काम आयी
माँ अभी मैं छोटी हूँ
मत छीनों मेरा बचपन
कैसे मैं रह पाऊंगी
तड़प - तड़प मर जाएंगी
अभी खेल रहीं मैं गुड़ियों से
फिर क्यूँ मुझे बोझ समझती हो,
उठाने...
ये सोच कौन बदलेगा ? इस बात से परेशान हूँ मैं...
अधिकार तो हमको ( महिलाओं को )बहुत से मिल गये है
परन्तु
हम उसका कितना उपयोग कर पाए हैं?
आज भी हर महिला कहीं न कहीं घुट...
आडंबरों की दुनिया
समय सतत, निरंतर बदलता जा रहा है।
समय के साथ -साथ मनुष्य भी बदल गया ।
अति आधुनिक होने की होड़ में
हम अपने संस्कारों को ताक पे...