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पुस्तक समीक्षा: रात, चांद और उन्स एक काव्य संग्रह…

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पुस्तक: रात, चांद और उन्स प्रकाशक: श्रीजा पब्लिकेशन पेज- 112 मूल्य- 250 रुपये पुस्तक समीक्षा: दिल्ली के श्रीजा पब्लिकेशन से पुस्तक रात, चांद और उन्स समीक्षा के लिए आई है। यह...

”डर का साया”

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ये कैसा डर का साया, एक लड़की को सताता है। माँ की कोख में पलते वक्त ही, जिसे ये जमाना मारना चाहता है। क्या कोई जवाब है इसका...

देश

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वो दौर बुरा था यारों जब, साँसे देश की गुलाम थी, कुछ अपने भी भीरू थे, पगड़ी दुश्मन के नाम थी। कैसे देख सकता था कोई...

विवेकानंद

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विवेक में आनंद को खोज कर जिसने अपने शब्द-शब्द में घोला ज्ञान ; राष्ट्रहित में किये जिसने अर्पित अपने तन-मन-प्राण; सत्य और संस्कृति भी हुए जिसको पाकर के महान; ऐसे ऋषि स्वरुप हर विवेक...

तारों की याद

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प्रमुदित तारों की जागृति, ताक रजनी की पहरेदारी, क्षोभ से छनकर चमककर, अनंत को आँखों से मिलाती। मायावी चमक पसारे तारे, चाँद की अराधना को जगते, व्याकुल मन ढुंढते हैं...

महिला दिवस

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एक है आजाद पँछी सी, एक पिंजरे मे बंद रहती है। एक घर बाहर सब संभालती, एक बस परिवार मे व्यस्त रह्ती है। एक वो जो अपने ख्वाब...

“वेश्यावृति”

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रात के सन्नाटों में कई बाजार खुलते हैं शहरों की अँधेरी गलियों में ज़िस्म हज़ारों बिकते हैं पहले जबरदस्ती से शायद फिर आदतों के तले वो हर रात बिकती है पेट...

इतना कैसे गिर जाते हो ?

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कन्या को देवी कहते हो देवी को लूट भी लेते हो? औरत को लक्ष्मी कहते हो लक्ष्मी को बेच भी देते हो? मन्दिर में शीश झुकाते हो भक्ति का...

माँ के नाम एक पत्र

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नन्ही सी आँखे और मुडी हुई उंगलियां थी मेरी, ये बात उस समय की है जब मैं इस पूरे जहां से अनजानी थी। पहली धड़कन जो...

नसीब

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एक वक्त था, तू मेरे करीब था। कोई ना था अपना मेरा, जब तू मेरा नसीब था। दुनिया ने ठुकराया था, तूने ही तो अपनाया था। आज अकेला छोड़...