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माँ के नाम एक पत्र
नन्ही सी आँखे और मुडी हुई उंगलियां थी मेरी,
ये बात उस समय की है जब मैं इस पूरे जहां से अनजानी थी।
पहली धड़कन जो...
सेना के सम्मान में
सेना के सम्मान में
इक युग गाथा का सार लिखूँ
क्या अनंत का विस्तार लिखूँ ?
छाती का बलिदान लिखूँ
या आखों की जल-धार लिखूँ ?
शहीद का आभार...
बेटी का अपनी माँ से निवेदन !
माँ, मैं बड़ी हो गई हूँ,
क्योंकि, वो घूरते हैं मुझे..
माँ, मुझे डर लगता है,
क्योंकि, वो छेड़ते हैं मुझे..
माँ, मुझे फ़िर से अपनी गुड़िया बना...
साल दर साल
साल दर साल यूँ ही बदलते चले गए,
उम्र बढ़ती गई , सपने मरते चले गए।
क्या कुछ बदला पिछले कुछ सालों में,
हाँ हर साल धोखो ...