Sunday, December 22, 2024
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”डर का साया”

ये कैसा डर का साया, एक लड़की को सताता है। माँ की कोख में पलते वक्त ही, जिसे ये जमाना मारना चाहता है। क्या कोई जवाब है इसका...

तारों की याद

प्रमुदित तारों की जागृति, ताक रजनी की पहरेदारी, क्षोभ से छनकर चमककर, अनंत को आँखों से मिलाती। मायावी चमक पसारे तारे, चाँद की अराधना को जगते, व्याकुल मन ढुंढते हैं...

“वेश्यावृति”

रात के सन्नाटों में कई बाजार खुलते हैं शहरों की अँधेरी गलियों में ज़िस्म हज़ारों बिकते हैं पहले जबरदस्ती से शायद फिर आदतों के तले वो हर रात बिकती है पेट...

इतना कैसे गिर जाते हो ?

कन्या को देवी कहते हो देवी को लूट भी लेते हो? औरत को लक्ष्मी कहते हो लक्ष्मी को बेच भी देते हो? मन्दिर में शीश झुकाते हो भक्ति का...

बचपन

आँखों में फिर घूमा बीता जमाना वो खुशहाल दुनिया,वो बचपन सुहाना। मस्ती की शामें,वो बेफिक्र रातें शतरंज की,लूडो कैरम की बातें। वो साइकिल चलाने को नंबर लगाना हवाओं में...

मासूम कोख़

दोस्तों, हम सबने सुना है की पैसे से हर चीज़ खरीदी जा सकती है। आजकल कोख़ भी खरीदी जाती है , तो इसी के...

नसीब

एक वक्त था, तू मेरे करीब था। कोई ना था अपना मेरा, जब तू मेरा नसीब था। दुनिया ने ठुकराया था, तूने ही तो अपनाया था। आज अकेला छोड़...

मेरी क्या ही औक़ात लिखूं

वो देश संभाले कांधो पर, संकट-मोचन के दूत लगे शत्रु से साक्षात्कार करें ,मैं कागज पे संहार लिखूं? सरहद पर सीना ताने, अंतिम सांस तलक भिड़ते महफूज...

मजहब

मजहब-मजहब से टकरा रहा है इस मजहब की दीवार को गिरा देते हैं। जब अपने होने का पता देते हैं आंखों ही आंखों से कयामत गिरा देते...

फिर क्यों उम्मीद करते हो उससे संस्कारो की !

​कहाँ मांग की थी तुम ने  संस्कारो की तुम तो दहेज के भिखारी थे तुम्हें तो चाह थीं सारे ऐश-आरामों की  धन  मे तौला था तुम ने...
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