Tag: हिन्दी कविता
”डर का साया”
ये कैसा डर का साया,
एक लड़की को सताता है।
माँ की कोख में पलते वक्त ही,
जिसे ये जमाना मारना चाहता है।
क्या कोई जवाब है इसका...
“वेश्यावृति”
रात के सन्नाटों में
कई बाजार खुलते हैं
शहरों की अँधेरी गलियों में
ज़िस्म हज़ारों बिकते हैं
पहले जबरदस्ती से शायद
फिर आदतों के तले
वो हर रात बिकती है
पेट...
इतना कैसे गिर जाते हो ?
कन्या को देवी कहते हो
देवी को लूट भी लेते हो?
औरत को लक्ष्मी कहते हो
लक्ष्मी को बेच भी देते हो?
मन्दिर में शीश झुकाते हो
भक्ति का...
मेरी क्या ही औक़ात लिखूं
वो देश संभाले कांधो पर, संकट-मोचन के दूत लगे
शत्रु से साक्षात्कार करें ,मैं कागज पे संहार लिखूं?
सरहद पर सीना ताने, अंतिम सांस तलक भिड़ते
महफूज...