Tag: मेरी कलम से
फिर क्यों उम्मीद करते हो उससे संस्कारो की !
कहाँ मांग की थी तुम ने संस्कारो की
तुम तो दहेज के भिखारी थे
तुम्हें तो चाह थीं सारे ऐश-आरामों की
धन मे तौला था तुम ने...
लड़की हूँ मैं : फिर क्यों दुनिया में मेरी इज़्ज़त नहीं...
बहन हूँ मैं, बेटी हूँ
देश की पहचान हूँ मैं
माँ हूँ मैं पत्नी हूँ
परिवार का सम्मान हूँ मैं
शांति का प्रतीक हूँ प्रतिशोध का प्रतीक हूँ
फिर...
बाल-मजदूरी : कुछ सवाल मजबूर बचपन के !
मैं भी एक बचपन हूं
ठीक तुम्हारे बच्चों की ही तरह,
मैं भी एक नटखटपन हूं
मेरे भी नन्हे हाथ है,
नाज़ुक कमजोर कंधे है,
पर उन कंधो पर...
बिन कहे सब समझ जाती है – माँ
खुद भूखा रहकर हमे खिलाती है वो,
हर दुःख से हमे बचाती है वो,
बिन कहे सब समझ जाती है,
खुद से ज्यादा हमे चाहती है वो,
ऊँगली...
साल दर साल
साल दर साल यूँ ही बदलते चले गए,
उम्र बढ़ती गई , सपने मरते चले गए।
क्या कुछ बदला पिछले कुछ सालों में,
हाँ हर साल धोखो ...
लिखने को किस्से हज़ार…
लिखता रहता हूँ अनवरत,
लिखने को किस्से हज़ार...
कभी पतझड़, कभी बारिश,
तो कभी बगिया में फूलों की बहार...
कभी रूठना, कभी मनाना,
अपनों का निश्छल प्यार...
लिखने को किस्से...
बचपन – कलयुग के कंसों के आगे, कान्हा अब लाचार है...
मैं भूखे बच्चों के लिए रोटी की आस लिखता हूँ ।
प्यास से कांपते होठों की सांस लिखता हूँ ।।
चाह नहीं मुझे मोहब्बत के गीत...
रिश्तों का मोल – हमारा जीवन माँ, बहन, भाई या पिता...
इज़्ज़त का क्या मतलब हैं ये हर कोई समझता हैं। आज मैं ये टॉपिक लायी क्योंकि मैं इस बारे में बहुत कुछ सोचती हूँ। ...
अबोध कन्या की आवाज़ – फ़रियाद मेरी ना काम आयी
माँ अभी मैं छोटी हूँ
मत छीनों मेरा बचपन
कैसे मैं रह पाऊंगी
तड़प - तड़प मर जाएंगी
अभी खेल रहीं मैं गुड़ियों से
फिर क्यूँ मुझे बोझ समझती हो,
उठाने...