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Tag: मेरी कलम से

दिखे हैं अग्निपथ….

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घरों में बंद दृष्टिहीन धृतराष्ट्रों को दिखाने निकले दृश्य नूतन संजयों को आज फिर दिखे हैंअग्निपथ जल रेह धू धू कर अग्नि रथों को जलाते तिनकों की तरह उन नव...

देश

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वो दौर बुरा था यारों जब, साँसे देश की गुलाम थी, कुछ अपने भी भीरू थे, पगड़ी दुश्मन के नाम थी। कैसे देख सकता था कोई...

तारों की याद

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प्रमुदित तारों की जागृति, ताक रजनी की पहरेदारी, क्षोभ से छनकर चमककर, अनंत को आँखों से मिलाती। मायावी चमक पसारे तारे, चाँद की अराधना को जगते, व्याकुल मन ढुंढते हैं...

माँ के नाम एक पत्र

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नन्ही सी आँखे और मुडी हुई उंगलियां थी मेरी, ये बात उस समय की है जब मैं इस पूरे जहां से अनजानी थी। पहली धड़कन जो...

मासूम कोख़

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दोस्तों, हम सबने सुना है की पैसे से हर चीज़ खरीदी जा सकती है। आजकल कोख़ भी खरीदी जाती है , तो इसी के...

मेरी क्या ही औक़ात लिखूं

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वो देश संभाले कांधो पर, संकट-मोचन के दूत लगे शत्रु से साक्षात्कार करें ,मैं कागज पे संहार लिखूं? सरहद पर सीना ताने, अंतिम सांस तलक भिड़ते महफूज...

सरस्वती की वंशावली

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जो भाषा भारत के भू - भाग में फैलीं है, जो भाषा भारत में संयुक्त परिवार बन फैली है , जो अवधी हरयाणवी ब्रज हिमाचली भोजपुरी कुमांयूंनी गढ़वाली राजस्थानी बघेली बुंदेली मैथिली और...

सेना के सम्मान में

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सेना के सम्मान में इक युग गाथा का सार लिखूँ क्या अनंत का विस्तार लिखूँ ? छाती का बलिदान लिखूँ या आखों की जल-धार लिखूँ ? शहीद का आभार...

बेटी का अपनी माँ से निवेदन !

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माँ, मैं बड़ी हो गई हूँ, क्योंकि, वो घूरते हैं मुझे.. माँ, मुझे डर लगता है, क्योंकि, वो छेड़ते हैं मुझे.. माँ, मुझे फ़िर से अपनी गुड़िया बना...

मजहब

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मजहब-मजहब से टकरा रहा है इस मजहब की दीवार को गिरा देते हैं। जब अपने होने का पता देते हैं आंखों ही आंखों से कयामत गिरा देते...