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फिर क्यों उम्मीद करते हो उससे संस्कारो की !

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​कहाँ मांग की थी तुम ने  संस्कारो की तुम तो दहेज के भिखारी थे तुम्हें तो चाह थीं सारे ऐश-आरामों की  धन  मे तौला था तुम ने...