Tag: कविताएं
मजहब
मजहब-मजहब से टकरा रहा है
इस मजहब की दीवार को गिरा देते हैं।
जब अपने होने का पता देते हैं
आंखों ही आंखों से कयामत गिरा देते...
#BookReview समाज को खोखला करते दीमकों को मिटाने का उपचार है...
भारत देश की पहचान में "अनेकता में एकता" का बोध समाहित है, विभिन्न संस्कृतियों तथा बोलियों वाले देश में जो हमें सामाजिक तौर पर...