जानिए भारत के ऐसे 9 मंदिर जिनमें प्राण-प्रतिष्ठा शिखर बनने से पहले हुई, शंकराचार्य के बयान पर छिड़ा विवाद

पंचगंगेश्वर मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर, कणादेश्वर मंदिर, संकटा मंदिर में भी शिखर नहीं बना है। सालों पहले मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई थी

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Ayodhya Ram Mandir Shikhar Controversy: ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि अधूरे मंदिर में जिसका शिखर नहीं बना है, उसमें प्राण प्रतिष्ठा नहीं हो सकती है। अब आज हम आपको ऐसे मंदिरों के बारें में बता रहे हैं जिनकी प्राण प्रतिष्ठा पहले हुई और मंदिर का शिखर बाद में तैयार हुआ।

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जानिए भारत के ऐसे 9 मंदिर के बारे में पढ़िए, जिनमें प्राण-प्रतिष्ठा शिखर बनने से पहले हुई….

1. रामेश्वरम मंदिर
दक्षिण के ज्योर्तिलिंग और चारधाम में आने वाला रामेश्वरम मंदिर 1173 ईसवी में बना। शिवलिंग प्रतिष्ठा के 277 साल बाद 78 फीट ऊंचा शिखर 1450 ईसवी में बनकर तैयार हुआ। इसे सेतुपति ने बनाया। शास्त्री कहते हैं कि आज भी मंदिर के प्रकार में राजगोपुरम यानी कि शिखर का काम काफी लंबे समय से रुका हुआ है।

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2. सोमनाथ मंदिर
गुजरात के सोमनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठा के 14 साल बाद मंदिर का शिखर बनकर तैयार हुआ। तब इसका शिखर पूजन किया गया। 11 मई 1951 को शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा हुई। भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के हाथों शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा की गई।1956 में शिखर का निर्माण हुआ। 3 मई, 1965 को महाराजा जाम साहब श्री के हाथों शिखर पर कलश स्थापित किया गया।

3. कर्नाटक का मुरुदेश्वर मंदिर
कर्नाटक के मुरुदेश्वर मंदिर में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा पहले की गई थी। जबकि 237 फीट ऊंचा शिखर साल 2008 में बनकर तैयार हुआ। यह मंदिर द्वापर के समय का है। यानी कि वेद व्यास जी के काल में शिखर रहित मंदिरों में भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होती रही है।

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4. कर्नाटक का गोकर्ण मंदिर
कर्नाटक में गोकर्ण क्षेत्र के प्रसिद्ध गणेश मंदिर का शिखर अभी तक नहीं बना है। इस मंदिर को दक्षिण का काशी कहा जाता है। इसमें प्राण प्रतिष्ठा गुप्त काल के बाद 500 ईस्वी के आसपास हुई थी। तब से अब तक शिखर का निर्माण नहीं हुआ।

5. केरल का पद्मनाथ स्वामी मंदिर
केरल का महापद्मनाभ स्वामी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कलयुग के पहले दिन यानी कि 5 हजार साल पहले हुई थी। ट्रावनकोर के राजा मार्तंड ने शिखर 1733 में बनवाया।

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6. धारवाड़ का सिद्धि विनायक मंदिर
धारवाड़ के सिद्धि विनायक मंदिर में अभी भी कलश स्थापना नहीं हो पाई है। जबकि सालों पहले भगवान विनायक की प्राण प्रतिष्ठा यहां की गई थी।

7. बैजनाथ धाम मंदिर
बाबा बैजनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से 9वां ज्योतिर्लिंग है। शिखर पर त्रिशूल की जगह पंचशूल लगाया गया है। बाबा बैजनाथ धाम में भी मंदिर निर्माण का कुछ काम अधूरा है। वहां पर शिखर का काम पूरा नहीं हुआ है।

8.  शिवमोगा में लक्ष्मी नृसिंह मंदिर
शिवमोगा के पास सागर क्षेत्र में श्रीलक्ष्मी नृसिंह मंदिर में काफी लंबे समय तक शिखर नहीं बना था। अब शिखर बनकर तैयार हो सका है। यहां भी प्राण प्रतिष्ठा पहले की गई थी।

भारत के कुछ प्रसिद्ध मंदिरों का इतिहास है। ऐसे कई मंदिर हैं जिनका इतिहास काफी पुराना है। जिसमें काशी के पंचगंगेश्वर मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर, कणादेश्वर मंदिर, संकटा मंदिर में भी शिखर नहीं बना है। सालों पहले मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई थी

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