Baba Bokh naag Devta: उत्तरकाशी टनल हादसे में 17वें दिन बड़ी सफलता मिली है। आखिरकार टनल में फंसे 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाला जा चुका है। उत्तरकाशी टनल पिछले दिनों से ही चर्चा में रहा है लेकिन जब मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है तब भी ये टनल चर्चा में क्या आप जानते क्यों?
दरअसल, स्थानीय लोगों की मान्यता के मुताबिक, एक स्थानीय देवता, जिनके क्रोध के कारण 12 नवंबर को सुरंग ढह गई थी। काफी पूजा-अर्चना के बाद उन्हें प्रसन्न कर लिया गया है। जिसके बाद 41 मजदूरों बाहर भी आ गए। अब चर्चा ये है कि आखिर ये स्थानीय देवता कौन है?
स्थानीय देवता बाबा बौखनाग है। जिनकी काफी मान्यता है। सोशल मीडिया पर बाबा बौखनाग की कई वीडियो शेयर भी की गई है। वीडियो में देखा जा सकता है कि उत्तरकाशी टनल के पास अस्थायी मंदिर की स्थापना की गई थी। यहां न केवल स्थानीय लोगों और बचाव दल के सदस्यों पूजा की बल्कि आस्ट्रेलिया से आए टनल एक्सपर्ट Arnold Dix भी कई बार पूजा करते नजर आए।
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भूस्खलन के पीछे बाबा बौखनाग का क्रोध
जब से निर्माणाधीन सुरंग, जो चार धाम ऑल वेदर रोड परियोजना का हिस्सा थी, 12 नवंबर को भूस्खलन के कारण ढह गई, जिससे 41 लोग अंदर फंस गए, स्थानीय लोग इसके इस हादसे के पीछे का कारण बाबा बौखनाग के क्रोध को बता रहे हैं। उनके अनुसार, संरचना ढहने से कुछ दिन पहले निर्माण कंपनी ने सुरंग के मुहाने के पास बाबा बौखनाग को समर्पित एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।
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स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा बौखनाग को क्षेत्र का रक्षक माना जाता है। सिल्क्यारा गांव के निवासी धनवीर चंद रमोला ने पीटीआई को बताया कि, “परियोजना शुरू होने से पहले, सुरंग के मुहाने के पास एक छोटा मंदिर बनाया गया था और स्थानीय मान्यताओं का सम्मान करते हुए, अधिकारी और मजदूर पूजा करने के बाद ही सुरंग में प्रवेश करते थे। हालांकि, कुछ दिन पहले, निर्माण कंपनी प्रबंधन ने इसे हटा दिया था। लोगों का मानना है कि इसी वजह से दुर्घटना हुई।”
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निर्माण कंपनी ने तोड़ा था बाबा बौखनाग का मंदिर
बाबा बौखनाग मंदिर के पुजारी गणेश प्रसाद बिजल्वाण ने कहा कि, उनका भी मानना है कि निर्माण कंपनी ने मंदिर को तोड़कर गलती की है, जिस कारण यह हादसा हुआ। पिछले हफ्ते, निर्माण कंपनी के अधिकारियों ने कथित तौर पर मंदिर के पुजारी को बुलाया, अपने कार्यों के लिए माफी मांगी और उनसे एक विशेष पूजा करने का अनुरोध किया।
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उन्होंने पूजा की और श्रमिकों को बचाने के ऑपरेशन की सफलता के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि, “उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। यहां किसी भी पुल, सड़क या सुरंग के निर्माण से पहले स्थानीय देवता के लिए एक छोटा मंदिर बनाने की परंपरा है। उनका आशीर्वाद लेने के बाद ही काम पूरा होता है।
#WATCH | International tunnelling expert, Arnold Dix offers prayers before local deity Baba Bokhnaag at the temple at the mouth of Silkyara tunnel after all 41 men were safely rescued after the 17-day-long operation pic.twitter.com/xoMBB8uK52
— ANI (@ANI) November 29, 2023
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