नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को इंटरनेट मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए गाइडलाइंस जारी की। अब नेटफ्लिक्स-अमेजन जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म हों या फेसबुक-ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सबके लिए सख्त नियम लागू किए जाएगे। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इसकी जानकारी दी। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार शिकायत के 24 घंटे के अंदर इंटरनेट मीडिया से आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना होगा।
इसके अलावा कंपनियों को एक शिकायत निवारण तंत्र रखना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर को भी रखना होगा। 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण होगा और 15 दिनों में उसका निपटारा होगा। सरकार तीन महीने में डिजिटल कंटेंट को नियमित करने वाला कानून लागू करने की तैयारी में है।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सालों से इंटरनेट मीडिया पर बड़े पैमाने पर दुर्व्यवहार को लेकर चिंता जाहिर की जा रही है। मंत्रालय ने व्यापक विचार-विमर्श किया और हमने दिसंबर 2018 में एक मसौदा तैयार किया। इसमें 2 श्रेणियां होंगी। एक इंटरमीडरी और दूसरा सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडरी। सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया इंटरमीडरी पर अतिरिक्त कर्तव्य है, हम जल्दी इसके लिए यूजर संख्या का नोटिफिकेशन जारी करेंगे। सिग्निफिकेंट सोशल मीडिया के कानून को हम तीन महीने में लागू करेंगे। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म को अफसरों की तैनाती करनी होगी। ये अधिकारी 24 घंटे में शिकायत का पंजीकरण करेगा और 15 दिनों में उसका निपटारा करेगा।
इस दौरान रविशंकर प्रसाद ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डाले जाने वाले कंटेंट को लेकर गाइडलाइंस बनाने के लिए कहा था। कोर्ट के निर्देश पर भारत सरकार ने इसके लेकर गाइडलाइंस तैयारी की हैं। सोशल मीडिया के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण कानूनों को तीन महीने के भीतर लागू किया जाएगा, ताकि वे अपने तंत्र में सुधार कर सकें। बाकी नियमों को अधिसूचित किए जाने के दिन से लागू होंगे।
गाइडलाइन्स की महत्वपूर्ण बातें-
बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर 8 तरह से सख्ती, फर्स्ट ओरिजिन के बारे में बताना होगा
1. सबसे बड़ी सख्ती यह है कि सोशल मीडिया कंपनियों को आपत्तिजनक पोस्ट्स के फर्स्ट ओरिजिन को ट्रेस करना होगा। यानी सोशल मीडिया पर खुराफात सबसे पहले किसने शुरू की? अगर भारत के बाहर से इसका ओरिजिन है, तो भारत में इसे किसने सबसे पहले सर्कुलेट किया, यह बताना होगा।
2. देश की संप्रभुता, सुरक्षा, पब्लिक ऑर्डर, फॉरेन रिलेशंस और रेप जैसे मामलों में फर्स्ट ओरिजिन की जानकारी देनी होगी। जिन आरोपों के साबित होने पर 5 साल से ज्यादा की सजा हो सकती है, ऐसे मामलों में ओरिजिन बताना होगा। कंटेंट बताने की जरूरत नहीं होगी।
3. सरकार के बनाए कानूनों और नियमों पर अमल सुनिश्चित करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ कम्प्लायंस ऑफिसर नियुक्त करना होगा। यह ऑफिसर भारत में रहने वाला व्यक्ति होना चाहिए।
4. एक नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन नियुक्त करना होगा, जिससे सरकारी एजेंसियां 24X7 कभी भी संपर्क कर सकें। यह नोडल ऑफिसर भी भारत में रहने वाला व्यक्ति होना चाहिए।
5. बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को हर महीने कम्प्लायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी कि कितनी शिकायतें आईं और उन पर क्या कदम उठाए गए।
6. ऐसी कंपनियों को अपनी वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर भारत में मौजूद उनका एक कॉन्टैक्ट एड्रेस भी बताना होगा।
7. सोशल मीडिया पर मौजूद यूजर्स वेरिफाइड हों, इसके लिए वॉलंटरी वेरिफिकेशन मैकेनिज्म बनाना होगा। SMS पर OTP के जरिए इस तरह का वेरिफिकेशन हो सकता है।
8. अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म किसी यूजर के कंटेंट को रिमूव करता है तो आपको यूजर को इस बारे में सूचना देनी होगी, उसके कारण बताने होंगे और यूजर की बात सुननी होगी।
OTT प्लेटफॉर्म्स को 6 बातें माननी होंगी, बच्चों को दूर रखने के लिए पैरेंटल लॉक मिलेगा
1. OTT प्लेटफॉर्म्स की एक बॉडी सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या इस फील्ड के किसी विशेषज्ञ व्यक्ति की अध्यक्षता में बने। यह बॉडी शिकायतों की सुनवाई करे और उस पर जो जजमेंट आए, उसे माने। यह ठीक उसी तरह होगा, जिस तरह टीवी चैनल अपने कंटेंट के लिए खेद जताते हैं या जुर्माना देते हैं। ऐसा करने को सरकारें उनसे नहीं कहतीं। वे खुद करते हैं। यह सेल्फ रेगुलेशन है।
2. OTT और डिजिटल मीडिया को डिटेल्स/डिस्क्लोजर पब्लिश करने होंगे कि वे इन्फॉर्मेशन कहां से पाते हैं।
3. शिकायतें निपटाने का सिस्टम वैसा ही रखना होगा, जैसा बाकी इंटरमीडिएरीज के लिए है। यानी शिकायतें रिपोर्ट करने के लिए सिस्टम बनाएं, शिकायत निपटाने वाले अधिकारी की नियुक्ति करें और उसका कॉन्टैक्ट डिटेल्स बताएं, तय टाइमफ्रेम में शिकायतों का निपटारा करें।
4. OTT प्लेटफॉर्म्स को 5 कैटेगरी में अपने कंटेंट को क्लासिफाई करना होगा। U (यूनिवर्सल), U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और A यानी एडल्ट।
5. U/A 13+ और इससे ऊपर की कैटेगरी के लिए पैरेंटल लॉक की सुविधा देनी होगी ताकि वे बच्चों को इस तरह के कंटेंट से दूर रख सकें।
6. एडल्ट कैटेगरी में आने वाले कंटेंट देखने लायक उम्र है या नहीं, इसका भी वेरिफिकेशन मैकेनिज्म बनाना होगा।
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