दुनिया से पहली बार गायब हुआ ग्लेशियर, लोगों ने किया अंतिम संस्कार, देखें तस्वीरें

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ग्लेशियर की 1986 और 2019 की फोटो

जलवायु परिवर्तन के कारण पहली बार एक ग्लेशियर धरती पर से पूरी तरह से गायब हो गया है। यह ग्लेशियर उत्तरी पश्चिमी यूरोप के द्वीप आइसलैंड के पश्चिम में स्थित था। इसकी पहचान ‘ओकजोकुल’ नाम से थी। पश्चिमी आइलैंड में ओकजोकुल ग्लेशियर के खत्म होने पर स्थानीय लोगों ने ‘अंतिम संस्कार’ जैसी रस्म अदा की।

इस मौके पर प्रधानमंत्री कैटरीन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आखिरी सेरेमनी न सिर्फ आइसलैंड के लोगों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरक होगी। क्योंकि हम यहां जो देख रहे हैं वह क्लाइमेट चेंज का सिर्फ एक चेहरा है। इस घटना पर एक प्रोफेसर ने कहा, आप क्लाइमेट चेंज को रोज महसूस नहीं करते, एक इंसान के तौर पर देखें तो यह बहुत धीरे हो रहा है लेकिन भौगोलिक पैमाने पर यह काफी तेज है।

आपको बता दें, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर द्वारा अप्रैल में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया कि अगर ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन ऐसे ही होता रहा तो दुनिया की लगभग आधी धरोहरें वर्ष 2100 तक अपने ग्लेशियरों को खो देंगे। इस घटना से दुनिया को सीखने की जरूरत है कि अब हम खतरे की ओर बढ़ रहे हैं। इस घटना पर वहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि आइसलैंड के दर्जनों ग्लेशियरों के पिघलने का खतरा दिखाई दे रहा है।

400 से अधिक ग्लेशियर गायब
आइसलैंड द्वीप में हर साल करीब 1100 करोड़ टन बर्फ पिघल जाती है। शोधकर्ताओं ने चिंता जताई है कि वर्ष 2,200 तक यहां के 400 से अधिक ग्लेशियर गायब हो जाएंगे। शोधकर्ताओं का कहना है कि हमें ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बहुत जल्द रोकना होगा। उन्होंने बताया कि स्थिति इतनी विकट है कि यदि हम अभी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन शून्य कर दें फिर भी सामान्य स्थिति आने में एक से दो सदी लग जाएंगी।

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